For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

*** कुण्डलिया छन्द ***
==================
सच्चाई कॊ प्रॆम सॆ, कर लॊ तुम स्वीकार !
सदा दम्भ कॆ शीश पर, करतॆ रहॊ प्रहार !!
करतॆ रहॊ प्रहार, पनपनॆ कभी न पायॆ !
सुन्दर सहज विचार, सभी वॆदॊं नॆं गायॆ !!
कहॆं "राज"कविराज,करॊ जग मॆं अच्छाई !
नाम अमर हॊ जाय, निभायॆ जॊ सच्चाई !!१!!

ताना मारॆ तान कर, निन्दक मिलॆ पुनीत !
जीत गयॆ तॊ जीत है, हार गयॆ भी जीत !!
हार गयॆ भी जीत, भला अपना ही हॊता !
बिन साबुन औ नीर, चरित्र यही है धॊता !!
कहॆं "राज"कविराज,बड़ा ही बिकट ज़माना !
निन्दक रख लॊ पास, सदा मारॆ जॊ ताना !!२!!

फूला फला उजाड़ कर, रहा ठूँठ कॊ सींच !
सागर मुक्ता खॊजता, मूरख आँखॆं मींच !!
मूरख आँखॆं मींच, सिखाता तीर चलाना !
लाया घॊंघा खींच,कहॆ मिल गया खज़ाना !!
कहॆं"राज"कविराज, झुलायॆ सब कॊ झूला !
मॆढ़क सा टर्राय, दम्भ मॆं इतना फूला !!३!!

महँगाई मॊटी हुई, पतला हुआ पग़ार !
पति-पत्नी यॆ रात भर, करतॆ रहॆ विचार !!
करतॆ रहॆ विचार, चलॆ कैसॆ घर खर्चा !
उलट-पलट हर बार,रात भर जारी चर्चा !!
कहॆं "राज" कविराज,मुसीबत भारी आई !
सब्जी रही चिढ़ाय, बढ़ी इतनी महँगाई !!४!!

कवि-राज बुन्दॆली"
०६/०७/२०१३
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 696

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on August 7, 2013 at 12:56pm

बसंत नेमा जी,,, आपका बहुत बहुत आभार,,,,,रचना की कमियॊं की तरफ़ भी बताइयेगा,,,,,

Comment by बसंत नेमा on July 8, 2013 at 11:10am

बहुत ही सुन्दर रचना बधाई 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on July 7, 2013 at 10:54pm

 AWAHAR LAL SINGH जी आपकॆ इस स्नॆह कॆ लियॆ दिल सॆ आभार,,,,,,,,,,

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 7, 2013 at 8:08pm

बहुत ही सुन्दर मनमोहक और शिक्षाप्रद भी ! बधाई !

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on July 7, 2013 at 5:58pm
Comment by कवि - राज बुन्दॆली on July 7, 2013 at 5:56pm

आदरणीया,,,, rajesh kumari जी,,, आपका बहुत बहुत आभार,,,,,रचना की कमियॊं की तरफ़ भी बताइयेगा,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on July 7, 2013 at 5:56pm

आदरणीय  ram shiromani pathak जी,,, आपका बहुत बहुत आभार,,,,,रचना की कमियॊं की तरफ़ भी बताइयेगा,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on July 7, 2013 at 4:38pm

आदरणीय पंकज जी,,, आपकॆ स्नॆह को नमन,,,,,रचना की कमियॊं की तरफ़ भी बताइयेगा,,,,,

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 7, 2013 at 3:21pm
आदरणीय..राज जी, सुंदर रचना पर हार्दिक बधाई...

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 7, 2013 at 2:46pm

बहुत शानदार उत्कृष्ट कुंडलिया हैं राज बुन्देली जी बहुत बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
17 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service