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प्यार के तट पर काई बहुत है

प्यार के तट पर काई बहुत है 
इसमें आगे गहराई बहुत है  
महफ़िल में रहने वालों को 
इक पल की तनहाई बहुत है 
नकली सिक्कों के बाज़ार में 
असली इक- इक पाई बहुत है 
4
कैसे रचे मेहँदी हांथों में 
किस्मत में अंगडाई बहुत है 
5
दिल का ज़रुरत क्या पत्थर की 
इसके लिए इक राई बहुत  है 
6
" अजय "न मांगे मंदिर मस्जिद 
उसके लिए इक भाई बहुत है 
 
मौलिक और अप्रकाशित 
अजय कुमार शर्मा 

Views: 415

Comment

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Comment by वीनस केसरी on July 11, 2013 at 1:41am

बहुत खूब अजय जी हार्दिक बधाई स्वीकार करें

Comment by बसंत नेमा on July 9, 2013 at 3:31pm

आ0 अजय जी बहुत  ही सुन्दर भावपुर्ण रचना  ... .बधाई 

Comment by mrs.Preeti G.sharma on July 9, 2013 at 2:40pm
Aadrniy, ajay ji ' bahut hi sunder rachna likhi aapne, aapko badhai bahut bahut
Comment by aman kumar on July 9, 2013 at 2:06pm
प्यार के तट पर काई बहुत है 
इसमें आगे गहराई बहुत है  |
प्यार भरे भावो के लिए बधाई अजय भाई !
लगता है की आप के कदम भी इस काई पर पड़े है ...

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