नाम ही बस नाम बाकी रह गया है
कहाँ अब इंसान बाकी रह गया है
क्यों नही करता वो मुझको अब क़ुबूल
कौन का इम्तिहान बाकी रह गया है
बस तसल्ली है जो मेरे पास है
कौन सा सामान बाकी रह गया है
दिल मेरा कहता है वापस आएगा वो
क्या कोई तूफान बाकी रह गया है
अब कहाँ खुद्दारियों का है ज़माना
अब कहाँ ईमान बाकी रह गया है
अजय कुमार शर्मा
मौलिक अप्रकाशित
Comment
अजय जी,
सितारों के आगे जहां और भी हैं
अभी इश्क के इम्तिहां और भी हैं
"बस तसल्ली है जो मेरे पास है
कौन सा सामान बाकी रह गया है"..वाह ! बहुत खूब..आदरणीय
"अब कहाँ खुद्दारियों का है ज़माना
अब कहाँ ईमान बाकी रह गया है "....यह तो कमाल है , बहुत सुंदर आदरणीय..अजय जी, हार्दिक बधाई आपको
कौन का इम्तिहान बाकी रह गया है
इस मिसरे में अगर सा होता तो और जियादा निखार आता
बहुत बढ़िया नज़्म के लिए बधाई स्वीकारे आदरणीय ।
आपके इस प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई!
क्यों नही करता वो मुझको अब क़ुबूल
कौन का इम्तिहान बाकी रह गया है
बहुत खूब!
आ0 अजय शर्मा जी बहुत सुन्दर .........
अब कहाँ खुद्दारियों का है ज़माना
अब कहाँ ईमान बाकी रह गया है..........
बहुत चोट खाये है जमाने से....
.सादर
कुंती
आदरणीय अजय शर्मा सर प्रयास हेतु बधाई स्वीकारें किन्तु रचना आपसे समय और कसावट की मांग कर रही है.
अब कहाँ खुद्दारियों का है ज़माना
अब कहाँ ईमान बाकी रह गया है
सही बात आदरणीय .... बहुत बढ़िया बधाई !
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