केवल एक मिठाई ...माँ...............
रिश्ते नाते संबंधो की होती नरम चटाई .......माँ
शीत लहर मे विषमताओं की , लगती गरम रज़ाई ...माँ
हर रिश्ते को परखा जाना , तब जाना व्यापार है ये
मूँह में राम बगल में छूरी , दुनिया का व्योहार है ये
दुनिया के सब प्रतिफल हैं कड़ुए, केवल एक मिठाई ...माँ
कोई कितना ही रोता हो सच ही जानो चुप जाएगा
दर्द भले हो कितना ज़्यादा शर्त लगा तो रुक जाएगा
हर दुख जिससे कट जाता हो ऐसी एक दवाई .....माँ
घर में भीड़ भले कितनी हो, माँ ना हो दुनिया सूनी
एक खुशी भी कितनी छोटी माँ हो तो हो जाती दूनी
सारे सूरज जब छुप जाते , होती दियासलाई.............माँ
मौलिक व अप्रकाशित
अजय कुमार शर्मा
Comment
बहुत सुंदर गीत रचा आपने आ0 अजय जी!
किस किस बंद की प्रशंसा करूँ सभी एक से बढ़ कर एक प्रतीत हो रहे है| कोई सर्वश्रेष्ठ बंद चुनना मुश्किल है| गीत का नैरन्तर्य आखिरी तक बांध के रखता है| फिर भी ये चुना मैंने ....
हर रिश्ते को परखा जाना , तब जाना व्यापार है ये
मूँह में राम बगल में छूरी , दुनिया का व्योहार है ये
दुनिया के सब प्रतिफल हैं कड़ुए, केवल एक मिठाई ...माँ
बहुत बहुत शुभकामनायें आपको आ0 अजय जी!
prachi di ka comment pa kar .....dhanya .......huya .........
sabhi ka dil ki gahrayio se shukriya .......typing mistakes na ho aisi koshish avashya karoonga ..............
रचना में कोमल भाव अच्छे लगे। बधाई।
दुनिया के सब प्रतिफल हैं कड़ुए, केवल एक मिठाई ...माँ
हर दुख जिससे कट जाता हो ऐसी एक दवाई .....माँ
घर में भीड़ भले कितनी हो, माँ ना हो दुनिया सूनी
एक खुशी भी कितनी छोटी माँ हो तो हो जाती दूनी
सारे सूरज जब छुप जाते , होती दियासलाई.............माँ.... वाह माँ तो बस माँ होती है ... ह्रदयस्पर्शी अभिव्यक्ति के लिए ढ़ेरों बधाई....
आदरणीय अजय भाई , माँ को समर्पित आपकी नये अन्दाज की रचना बहुत सुन्दर लगी !! आपको बधाई !!
बहुत ही प्यारी रचना आदरणीय //हार्दिक बधाई आपको //सादर
आदरणीय अजय शर्मा जी
माँ को समर्पित कोमल भाव लिए बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
हार्दिक बधाई
वाह आदरणीय बहुत ही प्यारी प्रस्तुति अंतिम बंद ने तो बस क्या कहूँ दिल को छू लिया दिल से बधाई स्वीकारें भाई जी, टंकण त्रुटियों पर ध्यान दें.
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