For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कितना  ही  पास हो  मृत्यु-मुखद्वार

सीमित सोचों के दायरों में गिरफ़्तार,

बंदी रहता है प्रकृत मानव आद्यंत ...

इर्ष्या, काम, क्रोध, मोह और लोभ,

राग और द्वेष

रहते  हैं  यंत्रवत  यह  नक्षत्र-से  आस-पास,

प्रक्रिया में बन जाते हैं यह मानव-प्रकृति,

विकृतियों में व्यस्त, मिलती नहीं मुक्ति।

 

अहंमन्यता के अंधेरे कुँए में निवासित

अभिमान-ग्रस्त मानव संचित करे भंडार,

कुएँ  की  परिधि  में  वह  मेंढक-सा  सोचे

‘कितना विशाल है मेरा यह संगृहीत संसार’।

ज्ञान-सूर्य  की  प्रज्वलित  किरणें  प्रदीपक

ज्योतित करें दिशाकाश को, सृष्टि-विस्तार को,

पर प्रतिस्पर्द्धी मानव की झोली पूंजी से संचित,

करती है ज्ञान-ज्योति को पास आने से वंचित।

 

जाने  कब  किस  पल  खुल  जाए  मृत्यु  मुखद्वार,

क्षणभंगुर जीवन, दायें और बायें निराशा और वेदना,

पर प्रक्रिया के शोर में भी जीती है आत्मसंग चेतना,

सुपरिष्कृत अन्त:करण पर छा जाती हैं कुछ किरणें,

प्रकाशमय हो जाते हैं मानव के बुद्धि-मनस पटल,

विवेक और  वैराग्य  अब  बन  जाते  हैं उसके  संबल,

काल-धारा-गति की अनुभूति करती है उसे चंचल,

अस्थाई संबंधों को तज,  तरंगित होता है आनन्द।

 

इस गहन परिवर्तन में सत्य को अनुभूत करता

वह व्यक्तित्वहीन मानव अब पाता है स्वयं को

विशाल प्रकृति के बीच नामहीन, मात्र  अणु-सा,

अपनी सीमित सोच के बंदीगृह से मुक्त,

अपने कुँए के बाहर के संसार से संयुक्त,

स्वयं-चैतन्य की आंतरिक संपन्नता सम्मुख,

सामंजस्य और संतुलन से  अब द्रव्य है  अहं,

मानव औ’ प्रकृति एकत्व में हो गए हैं इकाई।

... हरि ॐ तत सत! ... हरि ॐ तत सत!

 

                             ------

                                          - विजय निकोर

                                             ६ जुलाई,२०१३

(मौलिक और अप्रकाशित)

                                                              

Views: 734

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on July 10, 2013 at 6:33pm

आदरणीय राजेश जी:

 

रचना को आप से मान मिला, आपका हार्दिक धन्यवाद।

 

सादर,

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 10, 2013 at 6:32pm

आदरणीय विजय जी, आपकी प्रस्तुति से मन संतुष्ट नहीं हुआ.  यह लिखने के क्रम में हुई रचना है.

कई शब्द मात्र शब्द हैं. सादर

Comment by vijay nikore on July 10, 2013 at 6:29pm

आदरणीया कुंती जी:

रचना की सराहना के लिए हार्दिक आभार।

सादर,

विजय

Comment by ram shiromani pathak on July 10, 2013 at 6:05pm

आदरणीय विजय निकोर जी बहुत ही सुन्दर रचना हुई है //हार्दिक बधाई 

Comment by राजेश 'मृदु' on July 10, 2013 at 1:31pm

बहुत ही बेहतरीन रचना, पूरे जीवन का सार स्‍पष्‍ट करती । सादर

Comment by coontee mukerji on July 10, 2013 at 1:27pm

आदरणिय निकोर जी , आप की दार्शनिक रचनाएँ सदा ही प्ररक रहेगी.

सादर

कुंती

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service