Comment
रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय लक्ष्मण भाई जी।
मौन शब्द भले ही अनकहे रहे पर वे अधिक मुखरित होते है और इस बात की गवाह है आप ही की यह मनु शब्द रचना
आदरणीय विजय निकोरे जी | मौन शब्दों में छिपी वेदना को पढ़ना और उसका अहसास करने की जिज्ञासा जितनी तीव्र
होती है उतनी तीव्रता लिखे पड़े शब्दों में नहीं हो सकती | सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारे
आदरणीय योगराज भाई ,
आपका स्नेहसिक्त आशीर्वाद और मनोहारी भावाभिव्यक्ति
दोनो मेरा उत्साहवर्धन करते हैं। हार्दिक आभार स्वीकार करें।
सादर,
विजय निकोर
कहते हैं कि मौन शब्द सबसे अधिक चीत्कार करने मे सक्षम हुआ करते हैं. आपकी कविता भी इसी ओर इंगित करती है. जिस संवेदनशीलता से भावों को में पिरोया गया है उससे रचना निखर कर सामने आई है जिसे पढ़ते हुए आनद प्राप्त हुआ. इस सारगर्भित कविता पर आपको दिल से बधाई।
आदरणीय अदित्य जी:
रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार।
सादर,
विजय निकोर
बहुत ही सुन्दर रचना! आपको हार्दिक बधाई!
आदरणीया विनीता जी:
//बेहद भावप्रणव और संवेदनशील रचना. अभिव्यक्ति का सौन्दर्य, देखते ही बनता है.//
सराहना के इन अमूल्य शब्दों से इस रचना को आपका आशीर्वाद मिला,
मन आल्हादित हुआ। आपका हार्दिक धन्यवाद।
सादर,
विजय निकोर
आदरणीय अमन भाई:
//दिल की बात कलम तक ले आते है आप ,
आदरणीया वसुंधरा जी:
// शब्द नही लौट सकते कभी उदास..उन्हें उन तक पहुचना ही होता है //
रचना को सारगर्भित संज्ञा देने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीया |
सादर,
विजय निकोर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online