For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तन्हा- तन्हा, चुपके चुपके

 तन्हा- तन्हा, चुपके चुपके 

.

आँखों से आंसू बहते है 
धीरे- धीरे, चुपके से 
सब आंसू दुपट्टा पी लेता है 
कही कोई देख न ले ......
.
कितनी बाते हैं करने को
फिर भी लब सील के बैठी है
दर्द के साये में पलती धड़कन
चुपचाप सी चलती धड़कन
कहीं कोई सुन न ले ........
.
मांगी जब भी सूरज से किरणे
या चाँद से जब भी मांगी चांदनी
सुबह से जब माँगा उजाला
मन को बस अँधेरा ही मिला
कही कोई जान न ले ......
.
हिमालय से ऊँचे सपने
आकाश से ज्यादा विस्तार
डायरी के पिछले पन्नो पर
आज भी जिन्दा है वो भुला हुआ प्यार
कही कोई पढ़ न ले .......
.
सखी, सहेली सब छुट गई
मन से भी बिसरा दी सभी
नए रूप में ढलकर अब
निकलती है वो बाहर
कही कोई पहचान न ले ......
.
ख़ामोशी से बाते करना
सीख लिया है उसने शायद
मन में जब भी जो भी चुभता
बस कोरे कागत भर देती है
कहीं कोई ऊब न जाये .......
.
बहुत सुनी हैं उसने बाते
कुछ गैरो की, कुछ अपनों की बाते
कुछ नीम सी बाते, कुछ शहद सी बाते
कुछ अतीत की बीती बाते
कहीं कोई फिर से जिक्र न कर दे .....
.
लिखना-पढना बेकार हुआ माँ
क्या पाया लिख पढ़कर तुमने
घर-गृहस्थी में उम्र गवां दी
झाड़ू-पोछा, बर्तन, कपडे
 कहीं कोई अब करता है ये ....
तुम भी तो हो उसी घर का हिस्सा
फ़र्ज था मेरा एहसान नही था
हँसते हैं तो मुझपर हंस ले लोग
मुझको कोई फ़र्क नही पड़ता
धीरे बोलो न माँ कहीं मेरे दोस्त न सुन ले ..!!!!!!!!!
 
"मौलिक व अप्रकाशित"
सोनम सैनी

Views: 813

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on July 11, 2013 at 10:11am

प्रिय सोनम जी!

//लगता है आपने पूरी रचना में बस इन्ही लाइन्स को पढ़ा है,  सिर्फ पढ़ा है// ,,,,

आपको ये जानना चाहिए की पाठक को जो पंक्तियाँ समझ में नही आती वह उन्ही की ओर इंगित करता है, बाकि जो समझ में आ चुकी है उन को स्पेसिफाई करना???   

// लेकिन हमारे द्वारा लिखी गयी सभी रचनाये हमसे ही सम्बंधित हों ये जरूरी तो नही,//

,,देखिये सोनम जी! लाइन्स आपसे सम्बन्धित है या किसी और से इससे कोई प्रभाव नही पड़ता, एक पाठक के लिए केवल रचनाकार और रचना की गुणवत्ता ही मायने रखती है!!  अब रचना कार तो कहीं न कहीं से विषय उठाएगा ही,   

  

एक लेखक का धर्म है की, अगर उसकी रचना पे चर्चा हो रही है तो वह (लेखक) उन बिन्दुओं पर स्पष्टिकरण दे, जहाँ पाठक को वह भाव गृहीत करने में कठिनाई हो,  न की हर एक पाठक की गलती निकालने लगे। या फिर आप को "सुंदर रचना प्रस्तुति करण पर बधाई" जैसे प्रतिक्रिया की आदत है?   

यहाँ हममे से हर कोई अपनी व्यस्तता से समय निकाल के सीखने और सिखाने आता है। इस तरह की प्रतिक्रिया देकर अपनी रचना को वरिष्ठ पाठको से दूर न करे।व्यर्थ के वार्तालाप से कोई लाभ न होगा।     

रचनाये करें और उनमे सम्प्रेष्ण का भाव रचें!!

सादर!!   

Comment by Sonam Saini on July 11, 2013 at 9:38am

आदरणीय राम शिरोमणि जी इन लाइन्स का मतलब सिर्फ इतना सा है कि पीढ़ी के विचारो के मध्य भिन्नता को प्रस्तुत किया गया है , जहा माँ- बाप सोचते हैं कि वो जो भी अपने बच्चो के लिए करते हैं वो उनका फ़र्ज़ होता है जबकि बच्चे हर बात की कीमत लगा बैठते हैं। रचना को समय देने के लिए धन्यवाद 

Comment by Sonam Saini on July 11, 2013 at 9:31am

आदरणीय गीतिका जी नमस्कार ....

लगता है आपने पूरी रचना में बस इन्ही लाइन्स को पढ़ा है,  सिर्फ पढ़ा है , समझा है ये नही कह सकती हूँ, माफ़ी चाहूंगी लेकिन हमारे द्वारा लिखी गयी सभी रचनाये हमसे ही सम्बंधित हों ये जरूरी तो नही, ये लाइन्स मैंने किसी एक व्यक्ति विशेष के लिए नही लिखी हैं बल्कि आज की पीढ़ी के विचारो को ध्यान में रख कर लिखी हैं , रचना को समय देने के लिए धन्यवाद मैम .....
Comment by Sonam Saini on July 11, 2013 at 9:23am

आदरणीय राजेश कुमारी मैम नमस्कार ....

 :-) आप ये मेरी पहली रचना नही पढ़ रहे हो, बल्कि पहले भी कई बार आप मेरी रचनाओ को अपना अनमोल समय दे चुके हो बस आप भूल जाते हो मुझको .... :-( ,,,,,,,,समय के साथ आज की पीढ़ी के विचार भी बदल हैं , सच्चाई से ज्यादा दिखावा होने लगा है, आपने रचना को समय दिया आभारी हूँ, धन्यवाद मैम .....
Comment by Sonam Saini on July 11, 2013 at 9:16am

आदरणीय प्रीति जी रचना को पसंद करने के लिए बहुत धन्यवाद।

Comment by Sonam Saini on July 11, 2013 at 9:14am

आदरणीय बसंत नेमा जी रचना को समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

Comment by ram shiromani pathak on July 10, 2013 at 5:18pm

आदरणीया सोनम जी सुन्दर प्रस्तुति //हार्दिक बधाई आपको
एक बात कहना चाहूँगा ..रचनाओं पर समय दिया करे ///सादर

लिखना-पढना बेकार हुआ माँ
क्या पाया लिख पढ़कर तुमने
घर-गृहस्थी में उम्र गवां दी
झाड़ू-पोछा, बर्तन, कपडे
 कहीं कोई अब करता है ये ....//////

आपका कहना क्या है ?मै समझा नहीं /////

Comment by वेदिका on July 9, 2013 at 10:06pm

ये तो मूलभूत काम है जिन्दगी के! इनमे कोई उम्र नही गवाता, अगर ये काम अगर हम अपने लिए नही करेगे तो कौन करेगा? ये भी तो सोचिये, जब माँ ने ये काम करके हमे पका पकाया दिया तब ही हम ये सब सोचने लायक बने, और हम उनके इस समर्पण को

// घर गृहस्थी में ही उम्र गवां दी // कहेगे ?? ,, ये तो सही बात नही,!

आज भी कई लडकिया,  महिलाये  घर  के कई काम अपने हाथ से करना पसंद करती हैं, वे पढ़ी लिखी है, डॉक्टर है, कलेक्टर है, या जज है, किसी भी बड़ी पोस्ट में है, हाँ एक मदद के लिए हेल्पर रख लेती है, लेकिन घर के सदस्य भी कॉपरेट करते है। 

कई घरो में तो बच्चे भी इतने समझदार है की माँ के  काम में हाथ बटा लेते है, और फिर अब तो हाई टेक जमाना आगया है। सब कामो के लिए मशीन है, वाशिंग मशीन, डिश वाशर, और भी बहुत कुछ  अपने काम करने में कोई बुराई नही!!

लिखना-पढना बेकार हुआ माँ
क्या पाया लिख पढ़कर तुमने
घर-गृहस्थी में उम्र गवां दी
झाड़ू-पोछा, बर्तन, कपडे
 कहीं कोई अब करता है ये ....

माँ का हाथ बता के देखिये माँ को भी कितना सुकून मिलेगा!!  

अभिव्यक्ति के लिए बधाई!! 

                  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 9, 2013 at 9:11pm
तुम भी तो हो उसी घर का हिस्सा
फ़र्ज था मेरा एहसान नही था
हँसते हैं तो मुझपर हंस ले लोग
मुझको कोई फ़र्क नही पड़ता
              धीरे बोलो न माँ कहीं मेरे दोस्त न सुन ले ..!!!!!!!!!

 सच कहा ये उम्र का तकाजा होता है बच्चे अपने दोस्तों के सामने माँ बाप को कुछ कहने नहीं देते वो बस हर चीज बेस्ट दिखाने में यकीं  रखते हैं फिर इसे ही पीढ़ियों का अंतर कहते हैं --ये सभी क्षणिकाएं बहुत कुछ कह रही हैं आपकी शायद पहली रचना पढ़ रही हूँ अच्छी लगी बधाई आपको 

Comment by mrs.Preeti G.sharma on July 9, 2013 at 2:23pm
Adrniya, sonam ji, dil ko choo lene wali rachna, badhai aapko 'sadar '

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभाजी "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी बहुत सुन्दर भाव..हार्दिक बधाई इस सृजन पर"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service