For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बारिश की बूंदे

प्यासी धरती पर 

बरसती थी जब 
बारिश की बूंदे 
सोंधी - सोंधी सी खुशबु से 
महक उठता था ......
मेरे घर का आँगन .....
खिल उठते थे बगीचे में 
लगे पेड़ - पोधे .....
और खिल उठता था 
हम सब का मन ......
प्यासी धरती पर 
बरसती थी जब 
बारिश की बूंदे ........
घर के बाहर बहता था वो 
छोटा सा दरिया ......
अक्सर चला करती थी जिसमे 
कागज़ की कश्ती ........
पार होता था कौन पता है ???
चींटी और मकोड़े ..........
प्यासी धरती पर 
बरसती थी जब 
बारिश की बूंदे ........
बरसता तो आज भी है बादल 
उसी सिद्दत से लेकिन .......
मेरे घर में आज वो आँगन नही है 
जो महक उठता था तब 
प्यासी धरती पर 
बरसती थी जब 
बारिश की बूंदे ........
न मेरे घर के बाहर 
बहता है अब वो दरिया 
जिसमे चला करती थी 
हमारी कागज़ की कश्ती 
और पार उतरते थे 
चींटी और मकोड़े .....
प्यासी धरती पर 
बरसती थी जब 
बारिश की बूंदे ........
वक़्त बदला है तो
बदल गये है हम भी
और बदल गया है 
घर का आँगन भी,
घर के बाहर बनी वो 
कच्ची सड़क भी .....
ढक दिया हैं इन्हें आज  
सीमेंट की  चादर ने ...
तभी तो ....
अब नही महकता है
मेरे घर का आँगन 
और न चलती हैं 
हमारी कश्ती ........!!!!!!!!
मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 729

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 1, 2013 at 7:39am

बहुत सुंदर सोनम!

मेरी भी बचपन की यादें ताजा हो आई!

Comment by ram shiromani pathak on June 30, 2013 at 8:52pm

सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई आपको //आदरणीया कुन्ती दीदी से सहमत हूँ /

Comment by Sonam Saini on June 29, 2013 at 7:00pm

आदरणीय विजय मिश्र जी नमस्कार ......

सहमती व सराहना हेतु आभारी हूँ, बहुत बहुत धन्यवाद सर 
Comment by Sonam Saini on June 29, 2013 at 6:58pm


आदरणीय श्याम नरेन वर्मा जी सादर नमस्कार 

रचना पर सहमती हेतु आभार व धन्यवाद .....
Comment by Sonam Saini on June 29, 2013 at 6:57pm


आदरणीय बब्बन जी सादर नमस्कार 

रचना को सराहने हेतु आभार व धन्यवाद सर 
Comment by Sonam Saini on June 29, 2013 at 6:50pm

आदरणीय कुन्ती जी नमस्कार 

रचना को समय देने के लिए आभार व धन्यवाद .....और साथ ही  के लिए भी बहुत बहुत धन्यवाद मैम, आगे भी राह दिखाती रहें।
Comment by Sonam Saini on June 29, 2013 at 6:45pm

धन्यवाद सुमित जी 

Comment by विजय मिश्र on June 29, 2013 at 5:18pm
विज्ञान के विकास ने जीवन के प्राकृतिक सहजता को सहज ही हमसे दूर कर दिया , हम संधिकाल की पीढ़ी इसकी तुलना कर व्यथित तो होते हैं . उन्हें यह सरसता तो कल्पना में भी सूंघ नहीं पायेगी जो अब अपने घर आ रहे हैं . अतिसुन्दर भाव चित्रण ,साधुवाद सोनमजी .
Comment by Shyam Narain Verma on June 29, 2013 at 4:28pm

बहुत ही सुंदर व मर्मस्पर्शी रचना.....................

Comment by Dr Babban Jee on June 28, 2013 at 6:53pm

A true depiction of irreversible metamorphosis happened in modern life ! Congratulations for your very simplistic creation. Best wishes

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
23 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
30 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
31 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"उपयोगी सलाह के लिए आभार आदरणीय नीलेश जी। महत्वपूर्ण बातें संज्ञान में लाने के लिए धन्यवाद। एक शेर…"
35 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. गिरिराज जी ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई ..मैं निजि रूप में दर्पण जैसे संस्कृतनिष्ठ शब्द को…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आ. अजय जी,अच्छे भावों से सजी हुई ग़ज़ल हुई है लेकिन दो -तीन बातें संज्ञान में लाने का प्रयत्न कर रहा…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,मतले से बात शुरुअ करता हूँ.. मुट्ठी भर का अर्थ बहुत थोड़े या लिटरल- 5 (क्यूँ…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी, एक अच्छी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें.  कई शेर हैं जो पाठकों…"
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted blog posts
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जंग के मोड़ पर (लघुकथा)-  "मेरे अहं और वजूद का कुछ तो ख्याल रखा करो। हर जगह तुरंत ही टपक…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service