इन चमकती आँखों का फ़साना क्या है
दबे होठो से ये मुस्कुराना क्या है
बता भी दो अब कि क्यों
कटती है रात ख्वाबो में किसी के
बिना नींद के सो जाने का ये बहाना क्या है ...
पहले तो नही रहते थे आप
यूँ खामोश महफ़िल में
तन्हाई में बैठकर ये बडबडाना क्या है ...
अच्छा तो नही लगता था
तुमको किताबो में उलझना
फिर ये अंदाज-ए-शायराना क्या है
कहते हैं कि इश्क जिसे हो जाये
वो पागल हो जाता है
जानकार सब ये भूल जाना क्या है ...
बड़ी रुसवाईयां मिलती हैं इस राह में
समझाकर खुद को ये न समझना क्या है
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
सोनम जी, सुन्दर रचना ......बधाई हो।
कहते हैं कि इश्क जिसे हो जाये
वो पागल हो जाता है
जानकार सब ये भूल जाना क्या है ...
सोनम जी , लगता है आपने कुछ रचनाये बड़ी सिद्दत से रची है उनमे से एक जो मैंने पड़ी .
आपको बधाई !
रचना अच्छी लगी। बधाई।
विजय निकोर
इस सुंदर प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई! शिल्प को कुछ समय और दिया जाता तो रचना और निखर आती।
सादर!
अच्छा तो नही लगता था
तुमको किताबो में उलझना
फिर ये अंदाज-ए-शायराना क्या है....क्या बात है सोनम जी .. बधाई आपको
आ0 सोनम जी,सुन्दर रचना //हार्दिक बधाई
आ0 सोनम जी, बहुत सुन्दर । बधाई स्वीकारें। सादर,
चमकती आँखों का फ़साना ऐसा ही होता है........................कटती है रात ख्वाबो में किसी के
बिना नींद के सो जाने का ये बहाना क्या है .
सादर
कुंती
बहुत सुन्दर...बधाई…………
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ……………… |
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