तन्हा- तन्हा, चुपके चुपके
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Comment
प्रिय सोनम जी!
//लगता है आपने पूरी रचना में बस इन्ही लाइन्स को पढ़ा है, सिर्फ पढ़ा है// ,,,,
आपको ये जानना चाहिए की पाठक को जो पंक्तियाँ समझ में नही आती वह उन्ही की ओर इंगित करता है, बाकि जो समझ में आ चुकी है उन को स्पेसिफाई करना???
// लेकिन हमारे द्वारा लिखी गयी सभी रचनाये हमसे ही सम्बंधित हों ये जरूरी तो नही,//
,,देखिये सोनम जी! लाइन्स आपसे सम्बन्धित है या किसी और से इससे कोई प्रभाव नही पड़ता, एक पाठक के लिए केवल रचनाकार और रचना की गुणवत्ता ही मायने रखती है!! अब रचना कार तो कहीं न कहीं से विषय उठाएगा ही,
एक लेखक का धर्म है की, अगर उसकी रचना पे चर्चा हो रही है तो वह (लेखक) उन बिन्दुओं पर स्पष्टिकरण दे, जहाँ पाठक को वह भाव गृहीत करने में कठिनाई हो, न की हर एक पाठक की गलती निकालने लगे। या फिर आप को "सुंदर रचना प्रस्तुति करण पर बधाई" जैसे प्रतिक्रिया की आदत है?
यहाँ हममे से हर कोई अपनी व्यस्तता से समय निकाल के सीखने और सिखाने आता है। इस तरह की प्रतिक्रिया देकर अपनी रचना को वरिष्ठ पाठको से दूर न करे।व्यर्थ के वार्तालाप से कोई लाभ न होगा।
रचनाये करें और उनमे सम्प्रेष्ण का भाव रचें!!
सादर!!
आदरणीय राम शिरोमणि जी इन लाइन्स का मतलब सिर्फ इतना सा है कि पीढ़ी के विचारो के मध्य भिन्नता को प्रस्तुत किया गया है , जहा माँ- बाप सोचते हैं कि वो जो भी अपने बच्चो के लिए करते हैं वो उनका फ़र्ज़ होता है जबकि बच्चे हर बात की कीमत लगा बैठते हैं। रचना को समय देने के लिए धन्यवाद
आदरणीय गीतिका जी नमस्कार ....
आदरणीय राजेश कुमारी मैम नमस्कार ....
आदरणीय प्रीति जी रचना को पसंद करने के लिए बहुत धन्यवाद।
आदरणीय बसंत नेमा जी रचना को समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
आदरणीया सोनम जी सुन्दर प्रस्तुति //हार्दिक बधाई आपको
एक बात कहना चाहूँगा ..रचनाओं पर समय दिया करे ///सादर
आपका कहना क्या है ?मै समझा नहीं /////
ये तो मूलभूत काम है जिन्दगी के! इनमे कोई उम्र नही गवाता, अगर ये काम अगर हम अपने लिए नही करेगे तो कौन करेगा? ये भी तो सोचिये, जब माँ ने ये काम करके हमे पका पकाया दिया तब ही हम ये सब सोचने लायक बने, और हम उनके इस समर्पण को
// घर गृहस्थी में ही उम्र गवां दी // कहेगे ?? ,, ये तो सही बात नही,!
आज भी कई लडकिया, महिलाये घर के कई काम अपने हाथ से करना पसंद करती हैं, वे पढ़ी लिखी है, डॉक्टर है, कलेक्टर है, या जज है, किसी भी बड़ी पोस्ट में है, हाँ एक मदद के लिए हेल्पर रख लेती है, लेकिन घर के सदस्य भी कॉपरेट करते है।
कई घरो में तो बच्चे भी इतने समझदार है की माँ के काम में हाथ बटा लेते है, और फिर अब तो हाई टेक जमाना आगया है। सब कामो के लिए मशीन है, वाशिंग मशीन, डिश वाशर, और भी बहुत कुछ अपने काम करने में कोई बुराई नही!!
माँ का हाथ बता के देखिये माँ को भी कितना सुकून मिलेगा!!
अभिव्यक्ति के लिए बधाई!!
सच कहा ये उम्र का तकाजा होता है बच्चे अपने दोस्तों के सामने माँ बाप को कुछ कहने नहीं देते वो बस हर चीज बेस्ट दिखाने में यकीं रखते हैं फिर इसे ही पीढ़ियों का अंतर कहते हैं --ये सभी क्षणिकाएं बहुत कुछ कह रही हैं आपकी शायद पहली रचना पढ़ रही हूँ अच्छी लगी बधाई आपको
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