Comment
//खुबसूरत लेकिन बच्चे के मुख से ये निकलना चाहिए था ,. पिता जी ये किसके पद हैं ?//
भाई रवि जी ने संयत सटीक और सार्थक सुझाव दिया है. हार्दिक बधाई
खुबसूरत लेकिन बच्चे के मुख से ये निकलना चाहिए था ,
पिता जी ये किसके पद हैं ?
भाई जी यह चुटकुला होता तो मैं मान भी लेता अन्य सभी ने सब कुछ कह ही दिया है.
asambhav ............ye kathaa padh niraasha huee ...........
यह कथा है ? वह भी विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय जी की कलम से, निराशा हुई !
भाईजी, यह रचना तो यहाँ प्रस्तुत हुई दीख रही है !
फिर आपने आज मुझसे इस रचना पर कैसा व्यक्तिगत सुझाव मांगा है ? हम पूछ इस लिए रहे हैं कि जब मेरे सुझावों की प्रतीक्षा ही भारी पड़े और रचना प्रस्तुत हो जाये तो मेरे सुझावों की आवश्यकता ही क्या है ! जबकि मैंने मात्र दस मिनटों में आपके पत्र का प्रत्युत्तर दिया था ! भला होता आपने अपनी इस रचना का मात्र लिंक दे दिया होता, यह कर कि रचना प्रकाशित हो गयी है, आप टिप्पणी दें.
अव्वल तो मैं स्वय ही समयानुसार रचनाओं पर प्रतिक्रिया देता हूँ.
भाईजी, मै आपके उक्त पत्र तथा अपने उत्तर को सार्वजनिक कर रहा हूँ. ..
//..निम्नलिखित रचना आपके समीक्षार्थ प्रेषित है, इसमें कौन सा पक्ष कमजोर है जहाँ परिवर्तन कर रचना को और भी बेहतर बनाया जा सकता है। कृपया अनुग्रह कर शिष्य को कृतार्थ करें।.. (आगे आपकी लघुकथा उद्धृत है) //
मेरा उत्तर --
इस रचना का कथ्य कमजोर है.
जो कुछ यह रचना कहना चाहती है वह स्पष्ट रूप से संप्रेषित नहीं हो रहा है.
पारिवार में घनघोर रूप से व्याप्त ’पर उपदेसे कुसल बहुतेरे’ जैसी विसंगति को व्यवस्थित शब्द मिलने के स्थान पर आपकी कथा के माध्यम से पुत्र के मन में पिता के प्रति निहित विद्रुप खीझ मानों बाहर आ रही है.
जबकि होना यह चाहिये था कि ऐसी कोई खीझ रेखांकित न होती. अन्यथा यह उक्त पारिवार की नकारात्मकता को संप्रषित करेगी. फिर होगा यह कि कतिपय पाठक इसी अन्यथा आयाम को सतह पर ला कर आपकी लघुकथा को आँकने लगेंगे. आपकी लघुकथा अपने हेतु से भटक जायेगी.
संभवतः मैं अपने कहे को सही ढंग से साझा कर पाया.
Bahut achhi laghu katha, Vinay ji. Yadi hum apni baat par amal nahin karte to hamaare bachche kaise karenge?
कथा पात्रों के संवाद अस्वभाविक है
न आज पिता ऐसे दकियानूसी रह गये हैं न पुत्र अभी ऐसे मुंहफट हुए हैं ....
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online