अनाद्यानंत आकाश में तैरते
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
प्रिय शशि पुरवार जी , रचना के भावों पर आपका अनुमादन प्राप्त हुआ ..आपका हृदय से आभार.
अभिव्यक्ति की सहाहना कर लेखन विश्वास को संबल प्रदान करने के लिए आभार आ० अरुण निगम जी
रचना की भाव दशा आपके पाठक हृदय को संतुष्ट कर सकी, यह जान लेखन को आश्वस्ति मिली है आ० वंदना तिवारी जी
सादर धन्यवाद
waah behad sundar bhav abhivyakti sundar rachna prachi ji badhai aapko
धरातल से दूर शून्य से परे, अद्वितीय रचना..............
रचना में भावदशा की स्वीकार्यता के अनुमोदन से अभिव्यक्ति को मान देने के लिए आपकी आभारी हूँ आ० सौरभ जी
सादर.
रचना के भावों पर आपके उदार अनुमोदन के लिए आभारी हूँ आदरणीय बृजेश जी
सादर.
भाव-दशा के इस विशिष्ट स्वरूप का हार्दिक स्वागत करते हुए आपकी रचना को सादर धन्यवाद कह रहा हूँ
आदरणीया प्राची जी भावों की गहनता और एकाग्रता में ही ऐसी रचनायें जन्म लेती हैं। कल्पना ने जो ऊंचाइयां छुई हैं वहां तक पहुंचना आसान नहीं। भाव जिस तरह बरबस छलक गए हैं वह बस आपकी लेखनी का ही कमाल है।
आपको हार्दिक बधाई इस रचना पर!
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