For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - दुआओं की तिजारत हो रही है !

ग़ज़ल -
.

भुलाए पर, यहाँ तक भी न कोई ।

सताए पर, यहाँ तक भी न कोई ।

मुझे हर आइने ने झूठ बोला ,
निभाये, पर यहाँ तक भी न कोई ।

मुहब्बत से भरोसा उठ गया है ,
सताए, पर यहाँ तक भी न कोई ।

फिर औलादें ही अपनी गलियां दे,
लुटाए, पर यहाँ तक भी न कोई ।
.
पतंगे खेल  कुदरत के बिगाड़ें ,
उड़ाए, पर यहाँ तक भी न कोई ।
.
दुआओं की तिजारत हो रही है
कमाए पर यहाँ तक भी न कोई ।
.
किया माँ बाप का एहसान समझें ,
पढ़ाए पर यहाँ तक भी न कोई ।
.
दो बेटों में बंटें माँ बाप बिखरे ,
लड़ाए पर यहाँ तक भी न कोई ।
               
* सर्वथा मौलिक और अप्रकाशित 
                  -   अभिनव अरुण 
                 [may - june 2013]
              

Views: 920

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on July 26, 2013 at 2:57pm

अशआर पसंद आये बहुत आभार श्री नीरज जी !

Comment by Abhinav Arun on July 26, 2013 at 2:56pm

स्नेह सिक्त हुआ आदरणीय श्री अरुण अनंत जी बहुत धन्यवाद !!

Comment by Abhinav Arun on July 26, 2013 at 2:56pm

आपने शेरो की तार्किक समीक्षा प्रस्तुत कर मनोबल बढाया है बहुत आभार आदरणीय श्री विजय जी 

Comment by Abhinav Arun on July 26, 2013 at 2:55pm
जी आपकी बधाई बहुत मायने रखती है आदरणीया गीतिका जी बहुत शुक्रिया आपका !!
 - 
Comment by वेदिका on July 26, 2013 at 12:59pm

वाह वाह, ये गज़ल भी कमाल,,

बहुत बहुत बधाई लीजिये आदरणीय अभिनव अरुण जी!    

Comment by विजय मिश्र on July 26, 2013 at 12:33pm
" किया माँ बाप का एहसान समझें ,
पढ़ाए पर यहाँ तक भी न कोई ।
.
दो बेटों में बंटें माँ बाप बिखरे ,
लड़ाए पर यहाँ तक भी न कोई । " -- सांसारिक आवोहवा और बदलते रिश्तों की गुम होती अहमियत पर सीधी ऊँगली तानने के लिए साधुवाद ,अभिनवजी .सारगर्भित किन्तु सरल सुंदर रचना .
Comment by विजय मिश्र on July 26, 2013 at 12:31pm
" किया माँ बाप का एहसान समझें ,
पढ़ाए पर यहाँ तक भी न कोई ।
.
दो बेटों में बंटें माँ बाप बिखरे ,
लड़ाए पर यहाँ तक भी न कोई । " -- सांसारिक आवोहवा और बदलते रिश्तों की गम होती अहमियत पर सीधी ऊँगली तानने के लिए साधुवाद ,अभिनवजी .सारगर्भित किन्तु सरल सुंदर रचना .
Comment by Abhinav Arun on July 26, 2013 at 8:08am

आदरणीय श्री वीनस जी आपकी तारीफों पर खरा कहने उतरने का प्रयास जारी रहेगा . सभी स्नेह पुष्पों को गंठिया लिया है उनकी सुगंध आपको मिलती रहेगी . बहुत आभार आदर सहित !

Comment by वीनस केसरी on July 26, 2013 at 3:13am

मुझे हर आइने ने झूठ बोला ,
निभाये, पर यहाँ तक भी न कोई ।

मुकम्मल ग़ज़ल ......

शानदार
जानदार ...
लाजवाब
बहुत खूब
बेहतरीन
वाह वा
अद्भुत ..... आदि आदि आदि

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 25, 2013 at 10:19pm

वाह क्या खूब क्या खूब ग़ज़ल कही है भाई जी, बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर ग़ज़ल हेतु.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service