उमर भर साथ तू शामिल रही परछाइयों में,
सहा जाता नहीं है दर्द-ए-दिल तन्हाइयों में,
जरा सी बात पे रिश्ता दिलों का तोड़ते हैं,
उतर पाते नहीं जो प्यार की गहराइयों में,
भला इन्सान कोई दूर तक दिखता नहीं है,
बुराई घुल रही तेजी से है अच्छाइयों में,
जमीं ही रोज जीवनदान देती है सभी को,
जमीं ही रार बोती है सगे दो भाइयों में,
निगाहों को दिखाकर ख्वाब ऊँचें आसमां का,
गिराते लोग हैं धोखे से गहरी खाइयों में....
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
तहे दिल से शुक्रिया जीतेंद्र भाई जी
हार्दिक आभार भाई चन्द्र शेखर जी
आ0 अरुनजी बहुत ही उम्दा रचना ..बधाई
आदरणीय डॉ. सूर्या बाली सर जी आपने ज्ञान की बात बताई इस हेतु हार्दिक आभार आपका किन्तु यदि उमर की जगह उम्र करूँगा तो वज्न बदल जायेगा 12 की जगह २१ हो जायेगा. कृपया मार्गदर्शन करें.
यदि उमर भर की जगह हमेशा कर दूँ तो कैसा रहेगा ?
सादर धन्यवाद.
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय बृजेश भाई जी स्नेह बनाये रखिये
हार्दिक आभार अनुज राम शिरोमणि पाठक भाई
उमर भर साथ तू शामिल रही परछाइयों में,
सहा जाता नहीं है दर्द-ए-दिल तन्हाइयों में,...........वाह वाह ! बहुत ही खुबसूरत मतला से शुरुआत
जमीं ही रोज जीवनदान देती है सभी को,
जमीं ही रार बोती है सगे दो भाइयों में,...............वाह वाह! क्या खूब कहा
बहुत ही उम्दा गजल हुयी, आदरणीय अरुण अनंत जी, तहे दिल से दाद कुबूल कीजिये
उमर भर साथ तू शामिल रही परछाइयों में,
सहा जाता नहीं है दर्द-ए-दिल तन्हाइयों में, और फिर
निगाहों को दिखाकर ख्वाब ऊँचें आसमां का,
गिराते लोग हैं धोखे से गहरी खाइयों में.... क्या गजल कही है आदरणीय आपने। दिली दाद कुबुलें। वाह्ह्ह!!!
अनंत भाई बहुत ही खूबसूरत आशार कहें हैं...पूरी की पूरी ग़ज़ल ही अच्छी हुई दिल से दाद कुबूल करें...मतले के ऊला के पहले शब्द उमर को छोडकर : उमर मुसलमानों के दूसरे खलीफा थे यहाँ पर आपको उम्र बांधना है (आयु के संदर्भ में) ...बस इसको दुरुस्त कर लें तो मज़ा और दूना हो जाएगा॥
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online