बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।
सावन है मन भावन अब तो,आजा मन के चोर।
बदरा बरसे रिमझिम हरषे, मन सरसै तन मोर।।
मेरी करूण सुने बनवारी, मेह बड़े चितचोर।
बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।।1
गोरी का साजन मन झूठा, कैसा यह परदेश।
जग के बन्धन-संशय भरते, तू सत्य अनमोल।।
तन की माटी तुझे बुलाए, भ्रम में करता शोर।
बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।।2
जीवन बड़ा जुगाड़ु पग-पग, निश-दिन करता कर्म।
पल का नहीं ठिकाना साथी, फिर भी है बलजोर।।
कृष्ण सदा सद्चित्त आनन्द, जन मन में सुख घोर।
बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।।3
अति अकाल में सावन प्रिय सा, बरसे वन घनघोर।
प्यास बुझी धरती की जब जब, सुख-समृध्दि पुरजोर।।
पवन झकोरा से मन डोले, जोड़ें नय के डोर।
बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।।4
नाचे तन मन त थई-त थई, खग-पशु, विरही-मोर।
ऐ मनु जरा संभालों नभ-तल, धरा न बने अघोर।।
बम बम भोले कांवरियों के, शंकर बड़े निहोर।
बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।।5
शिव-गौरी की पूजा नित-नित, चंचल चित इकठौर।
शिव-शक्ति की कृपा से मन को, मिलता सुख-यश घोर।।
सावन में श्रीकृष्णा जप से, चौदह भुवन विभोर।
बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।।6
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आ0 सौरभ सर जी, सादर प्रणाम! आपके स्नेह और आशीष के लिए आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार। सादर,
बहुत बहुत बधाई केवल प्रसादजी. शिल्प की तुकान्तता को समझने का प्रयास भी किया हमने.
शुभम्
आ0 डी0पी0 माथुर भाई जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन से लेखनी को बल मिला है। आपका हृदयतल से बहुत बहुत आभार। सादर,
आ0 आशुतोष भाई जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन से लेखनी को बल मिला है। आपका हृदयतल से बहुत बहुत आभार। सादर,
शिव-गौरी की पूजा नित-नित, चंचल चित इकठौर।
शिव-शक्ति की कृपा से मन को, मिलता सुख-यश घोर।।
सावन में श्रीकृष्णा जप से, चौदह भुवन विभोर।
बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।।6
आदरणीय केवल जी नमस्कार, सावन की इस मनमोहक रचना के लिए आपको हृदय से बधाई
केवल जी मन को छू लेने वाली रचना ..बेहतरीन चुनिन्दा शब्दों के प्रयोग बार बार पढने के लिए प्रेरित करता है ढेरो बधाई के साथ
आ0 भण्डारी भाई जी, सादर प्रणाम! आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदयतल आभारी हूं। सादर,
आ0 लड़ीवाला सर जी, सादर प्रणाम! आपका आशीष पाकर मैं धन्य हो गया। आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदयतल आभारी हूं। सादर,
सावन में बृज की बाला द्वरा श्याम को बुलाने, और उसके संग खेलने, नाचने, गाने की अभिलाषा संजोये सखियों
के परिप्रेक्ष में पगी सुन्दर भाव रचना के लिए हार्दिक बधाई श्री केवल प्रसाद जी
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