For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! बृज की बाला श्याम पुकारे !!!

बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।

सावन है मन भावन अब तो,आजा मन के चोर।
बदरा बरसे रिमझिम हरषे, मन सरसै तन मोर।।
मेरी  करूण  सुने  बनवारी, मेह  बड़े  चितचोर।
बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।।1

गोरी का साजन मन झूठा, कैसा यह परदेश।
जग के बन्धन-संशय भरते, तू सत्य अनमोल।।
तन की माटी तुझे बुलाए, भ्रम में करता शोर।
बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।।2

जीवन बड़ा जुगाड़ु पग-पग, निश-दिन करता कर्म।
पल का नहीं ठिकाना साथी, फिर भी है बलजोर।।
कृष्ण सदा सद्चित्त आनन्द, जन मन में सुख घोर।
बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।।3

अति अकाल में सावन प्रिय सा, बरसे वन घनघोर।
प्यास बुझी धरती की जब जब, सुख-समृध्दि पुरजोर।।
पवन  झकोरा  से  मन  डोले,  जोड़ें  नय  के  डोर।
बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।।4

नाचे तन मन त थई-त थई, खग-पशु, विरही-मोर।
ऐ मनु जरा संभालों नभ-तल, धरा न बने अघोर।।
बम बम  भोले  कांवरियों के,  शंकर  बड़े  निहोर।
बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।।5

शिव-गौरी की पूजा नित-नित, चंचल चित इकठौर।
शिव-शक्ति की कृपा से मन को, मिलता सुख-यश घोर।।
सावन में श्रीकृष्णा जप से, चौदह भुवन विभोर।
बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।।6

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 583

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 25, 2013 at 7:36pm

आ0 सौरभ सर जी,  सादर प्रणाम!  आपके स्नेह और आशीष के लिए आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2013 at 12:31am

बहुत बहुत बधाई केवल प्रसादजी. शिल्प की तुकान्तता को समझने का प्रयास भी किया हमने.

शुभम्

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 16, 2013 at 6:34pm

आ0 डी0पी0 माथुर भाई जी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन से लेखनी को बल मिला है।  आपका हृदयतल से बहुत बहुत आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 16, 2013 at 6:32pm

आ0 आशुतोष भाई जी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन से लेखनी को बल मिला है।  आपका हृदयतल से बहुत बहुत आभार।   सादर,

Comment by D P Mathur on August 15, 2013 at 8:58am

शिव-गौरी की पूजा नित-नित, चंचल चित इकठौर।
शिव-शक्ति की कृपा से मन को, मिलता सुख-यश घोर।।
सावन में श्रीकृष्णा जप से, चौदह भुवन विभोर।
बृज की बाला श्याम पुकारे, पिउ ज्यों रटे चकोर।।6

आदरणीय केवल जी नमस्कार, सावन की इस मनमोहक रचना के लिए आपको हृदय से बधाई

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 15, 2013 at 8:29am

केवल जी मन को छू लेने वाली रचना ..बेहतरीन चुनिन्दा शब्दों के प्रयोग बार बार पढने के लिए प्रेरित करता है ढेरो बधाई के साथ

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 14, 2013 at 9:33pm

आ0 भण्डारी भाई जी,  सादर प्रणाम!   आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदयतल आभारी हूं। सादर,  

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 14, 2013 at 9:32pm

आ0 लड़ीवाला सर जी,  सादर प्रणाम!  आपका आशीष पाकर मैं धन्य हो गया। आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदयतल आभारी हूं। सादर, 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 14, 2013 at 6:57pm

सावन में बृज की बाला द्वरा श्याम को बुलाने, और उसके संग खेलने, नाचने, गाने की अभिलाषा संजोये सखियों 

के परिप्रेक्ष में पगी सुन्दर भाव रचना के लिए हार्दिक बधाई श्री केवल प्रसाद जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 14, 2013 at 11:11am
अति सुन्दर !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लेखन के विपरित वातावरण में इतना और ऐसा ही लिख सका।…"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"उड़ने की चाह आदत भी बन जाती है।और जिन्हें उड़ना आता हो,उनके बारे में कहना ही क्या? पालो, खुद में…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service