For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हो नहीं आक्रांत,
समर्पण भाव पर
सुर्ख आह्लाद की
जो छाप है,
भाव उन्नत उपजते
बुद्धि उर्वर,विवेक में
समृद्ध मनन का निवास है,
ना विकलता,
उर में यदि
धवल शान्ति का
प्रकाश विद्यमान है,
जीवन्तता
निरन्त चक्र सम
चैतन्यता
रग-रग मे तुम्हारे जो व्याप्त है,
तो समझ लो
हे आत्मन्!
ये तुम्हारा ही नहीं
राष्ट्र का उत्थान है।
स्व से उठकर
'पर' पर जो तुम्हारा राग है,
ध्वज तुम्ही हो,आन और...
राष्ट्र-गौरवगान हो।
-विन्दु
(मौलिक/अप्रकाशित)

Views: 681

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vindu Babu on August 29, 2013 at 11:32am
आदरणीय सौरभ सर नमस्कार!
आपकी अनुमोदक टिप्पणी ने रचना का बहुत महत्व बढाया है।
स्नेह बनाए रखें आदरणीय।
सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 26, 2013 at 1:56pm

व्यष्टि का समुच्चय ही समष्टि है यदि साहचर्य समुन्नत अवस्था में हो. इसी समष्टि भाव का भौतिक प्रतीक ध्वज होता है. ध्वज अवधारणा है नकि मात्र निरुपण. इसी अवधारणा को प्रस्तुत करती आपकी प्रस्तुत रचना भली लगी. 

तनिक और खोलतीं तो कविता और कुछ कहती.

बहरहाल, आपको आपके प्रयास केलिए हार्दिक बधाइयाँ. शुभेच्छाएँ

Comment by Vindu Babu on August 21, 2013 at 7:07pm
आदरणीया गीतिका जी आप जैसे विज्ञों से तो (बहुत सुन्दर रचना के अतिरिक्त भी) कुछ सुधारात्मक टिप्पणी की सादर अपेक्षा करती हूं।
आपकी बहुमूल्य टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार!
स्नेह बनाए रखें।
सादर
Comment by Vindu Babu on August 21, 2013 at 7:00pm
आदरणीय राजनवादवी जी आपकी बहुमूल्य टिप्पणी शिरोधार्य है।
आदरणीय मुझे ज्यादा अनुभाव नहीं,निवेदन है महोदय 'विन्यास के गठाव' के बारे में कुछ बताएं।
सादर प्रतीक्षा में
वन्दना
Comment by Vindu Babu on August 21, 2013 at 7:00pm
आदरणीय राजनवादवी जी आपकी बहुमूल्य टिप्पणी शिरोधार्य है।
आदरणीय मुझे ज्यादा अनुभाव नहीं,निवेदन है महोदय 'विन्यास के गठाव' के बारे में कुछ बताएं।
सादर प्रतीक्षा में
वन्दना
Comment by Vindu Babu on August 21, 2013 at 6:58pm
आदरणीय राजनवादवी जी आपकी बहुमूल्य टिप्पणी शिरोधार्य है।
आदरणीय मुझे ज्यादा अनुभाव नहीं,निवेदन है महोदय 'विन्यास के गठाव' के बारे में कुछ बताएं।
सादर प्रतीक्षा में
वन्दना
Comment by वेदिका on August 21, 2013 at 6:56pm

बहुत खूबसूरत रचना आदरणीया वन्दना जी!

बधाई !! सादर !!

Comment by Vindu Babu on August 21, 2013 at 6:55pm
आदरणीया अन्नपूर्णा जी,आदरणीय श्यामनारायण जी,आदरणीय रविकार जी,आदरणीयराम शिरोमणि जी सहित आप सभी को पावन पर्व रक्षाबन्धन की ढेरों शुभकामनाएं।
आपकी बधाइयां मुझे हार्दिक प्रसन्नता के साथ स्वीकार्य हैं,आपलोग भी मेरा सादर धन्यवाद स्वीकारें।
सादर
Comment by Vindu Babu on August 21, 2013 at 6:50pm
आदरणीय निकोर सर नमस्ते!
आपको मैं अतुकान्त रचनाओं के महारथी मानती हूं,कुछ सुधार सुझाएं महोदय तो मेरी रचनाओं मेभी कुछ निखार आ सके।
आपने रचना का अनुमोदन किया इसके लिए आपका बहुत आभार
सादर
Comment by vijay nikore on August 20, 2013 at 5:00pm

//भाव उन्नत उपजते
बुद्धि उर्वर,विवेक में
समृद्ध मनन का निवास है,
ना विकलता,
उर में यदि
धवल शान्ति का
प्रकाश विद्यमान है,//

रचना सदैव समान अति सुन्दर भावों से सुसज्जित है, आदरणीया वंदना जी।

सादर,

विजय निकोर

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service