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पावन पर्व
पवित्र धागे संग
प्रेम से भरा

भाई बहन
बाटें प्यार ही प्यार
रक्षाबंधन

रेशमी डोर
भाई की कलाई में
गुँथा है प्यार

कच्चे धागों में
झोली भर खुशियाँ
नेह बौछार

पवित्र रिश्ता
पावन गंगा जल
कभी न टूटे

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

मौलिक व् अप्रकाशित

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 24, 2013 at 1:29pm

प्रिय राम शिरोमणि जी 

सुन्दर हायकू प्रस्तुति 

बधाई 

Comment by ram shiromani pathak on August 22, 2013 at 9:07pm

हार्दिक  आभार आदरणीय  ब्रिजेश  जी, अमूल्य सुझाव के लिए बहुत बहुत आभारी हूँ //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on August 22, 2013 at 9:07pm

हार्दिक  आभार आदरणीय  अभिनव अरुण जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on August 22, 2013 at 9:06pm

हार्दिक  आभार आदरणीय  जीतेन्द्र   जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on August 22, 2013 at 9:06pm

हार्दिक  आभार आदरणीय  सुरेन्द्र   जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on August 22, 2013 at 9:06pm

हार्दिक  आभार आदरणीय  केवल  जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on August 22, 2013 at 9:05pm

हार्दिक  आभार आदरणीया विनीता जी //सादर 

Comment by बृजेश नीरज on August 21, 2013 at 8:36am

आदरणीय राम भाई रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं! बहुत ही सुन्दर हाइकु! आपको हार्दिक बधाई!

हाइकु में प्रत्येक पंक्ति अपने अर्थ में स्वतंत्र होती है। कृपया तीसरा हाइकु देखें। यहां दूसरी पंक्ति अपने अर्थ के लिए तीसरी पंक्ति पर निर्भर है। ऐसा ही अगले हाइकु में भी है।

//कच्चे धागों में
झोली भर खुशियाँ
नेह बौछार//

इसको ऐसा लिखें तो कैसा रहेगा?

‘ये कच्चे धागे’……. या ऐसा ही और कुछ

सादर!

 

Comment by Abhinav Arun on August 21, 2013 at 6:59am

श्री राम शिरोमणि जी पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें और बधाई और सशक्त रचना के लिए हार्दिक साधुवाद 

!
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 21, 2013 at 4:05am

भाई बहन के पावन पर्व पर ,सुंदर रचना प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई राम भाईजी

कृपया ध्यान दे...

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