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ग़ज़ल - कहकहों के दायरे में ..{अभिनव अरुण}

ग़ज़ल - 

कहकहों के दायरे में दिल मेरा वीरान है ,

गाँव के बाहर बहुत खामोश एक सीवान है |

 

उंगलियाँ उठने लगेंगी जब मेरे अशआर पर ,

मान लूँगा मैं कि मेरे दर्द का दीवान है |

 

वो सुनहरे ख्वाब में है सत्य से कोसो परे ,

आदमी हालात से वाकिफ मगर अनजान है |

 

छू के उस नाज़ुक बदन को खुशबुओं ने ये कहा ,

ज़िन्दगी से दूर साँसों की कहाँ पहचान है |

 

बढ़ रहा है कद अँधेरे का शहर में देखिये ,

हाशिये पर गाँव का दुबका हुआ अरमान है |

 

हाट एक सजती है पगडण्डी के दोनों छोर पर ,

और   इच्छाएं लिए   घुटता हुआ   इंसान है |

                             - अभिनव अरुण 

                               {19082013}

*सर्वथा मौलिक और अप्रकाशित 

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Comment by Abhinav Arun on August 20, 2013 at 6:17pm

ह्रदय तल से आभार आदरणीय श्री पाठक जी एव श्री  विजय जी खयालो का अनुमोदन उत्साह बढ़ाएगा मेरा !!

Comment by ram shiromani pathak on August 20, 2013 at 1:53pm

वो सुनहरे ख्वाब में है सत्य से कोसो परे ,

आदमी हालात से वाकिफ मगर अनजान है |

 

छू के उस नाज़ुक बदन को खुशबुओं ने ये कहा ,

ज़िन्दगी से दूर साँसों की कहाँ पहचान है |////////////वाह वाह आदरणीय  बहुत ही  सुन्दर  ग़ज़ल //हार्दिक बधाई आपको 

Comment by vijay nikore on August 20, 2013 at 1:46pm

//उंगलियाँ उठने लगेंगी जब मेरे अशआर पर ,

मान लूँगा मैं कि मेरे दर्द का दीवान है |//           .......... वाह, वाह, वाह !

 

बधाई, आदरणीय अरुण जी, खूबसूरत ख्याल पेश किए हैं।

विजय निकोर

 

Comment by Abhinav Arun on August 20, 2013 at 1:09pm

बहुत आभारी हूँ आदरणीय श्री गिरीराज जी ,श्री रविकर जी ,एवं आदरणीया विनीता जी आप सबको ग़ज़ल पसंद आई लिखना सार्थक हुआ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 20, 2013 at 11:44am

अभिनव जी एक सुन्दर गज़ल के लिये बधाई -

उंगलियाँ उठने लगेंगी जब मेरे अशआर पर ,

मान लूँगा मैं कि मेरे दर्द का दीवान है |-----------वाह वा !!

Comment by रविकर on August 20, 2013 at 11:36am

बढ़िया है भाई जी
सादर-

Comment by Vinita Shukla on August 20, 2013 at 11:11am

छू के उस नाज़ुक बदन को खुशबुओं ने ये कहा ,

"ज़िन्दगी से दूर साँसों की कहाँ पहचान है |

 

बढ़ रहा है कद अँधेरे का शहर में देखिये ,

हाशिये पर गाँव का दुबका हुआ अरमान है |" सुंदर भावयुक्त रचना हेतु, बधाई स्वीकारें आ. अभिनव अरुण जी.

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