दिल से उतरा है रूह का तराना समझिये ।
उसकी बन्दगी में मिला ये नज़राना समझिये ।
दिल से दिल के तारों को जोड़कर ज़रा ,
मेरा ये अंदाजे बयाँ सूफियाना समझिये ।
........................................................................
बिन ताल कभी नाचा करिये, बिन सुर भी कभी गाया करिये |
अपने मुख पर एक गहन हंसी बेवज़ह कभी लाया करिये ।
फूलों ने कौन वज़ह मांगी गुलशन महकने से पहले ।
पक्षियों ने रब से क्या चाहा डालों पे चहकने से पहले ।
जीवन की बहती धारा में ,बस यूँ ही बह जाया करिये ।
बिन ताल कभी नाचा करिये .................................... ।
राहों से कैसे गुज़रती हैं नदियों की मौज ज़रा समझो ।
किसी गहन मौन में डूबे तारों की फौज ज़रा समझो ।
मन की लहरों में डुबकी ले कुछ देर ठहर जाया करिये ।
बिन ताल कभी नाचा करिये .................................... ।
छलकाओ मस्ती पी लो तुम कोई पैमाना ना ढूढ़ो ।
जीवन को पल पल जीने का तुम कोई बहाना ना ढूढो ।
आगोश में अपनी बाहों के कभी आप सिमट जाया करिये ।
बिन ताल कभी नाचा करिये .................................... ।
ये भाव ह्रदय की मस्ती के जब रोम रोम में झलकेंगे ।
जीवन के प्रति ले अहो भाव आँखों से आंसू छलकेंगे ।
फिर अज्ञात के चरणों में सब छोड़ बिखर जाया करिये ।
बिन ताल कभी नाचा करिये .................................... ।
मौलिक व अप्रकाशित
नीरज
Comment
नीरज जी आपका ये सूफ़ियान अन्दाज़ पसन्द आया. बधाई
आ भाई जी आपका अंदाज बेहद पसंद आया ...आपके इस प्रयास को नमन
आ० नीरज जी
सुन्दर भाव, सुन्दर प्रस्तुति
बधाई
बहुत सुन्दर नीरज भाई अंदाज पसंद आया प्रयास करते रहिये इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें.
अति सुन्दर ! नीरज भाई , बधाई !!!
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