For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे पागल दिल से पूछो [नज़्म]

तुमसे बिछड़ के क्यों जीता हूँ ,
मेरे पागल दिल से पूछो ।
दर्द के आंसू क्यों पीता हूँ ,
मेरे पागल दिल से पूछो ।

तनहाई के दौर बहुत हैं ।

दर्द मिले इस तौर बहुत हैं ।
ये न समझना एक तुम्ही हो,
दिल के साथी और बहुत हैं ।

टूटे सपने क्यों सींता हूँ ,
मेरे पागल दिल से पूछो ।

माना तुमसे दूर बहुत हैं ।
हम दिल से मजबूर बहुत हैं ।
प्यार की रस्मे कैसे निभायें,

दुनिया के दस्तूर बहुत हैं ।

किन हालातों से बीता हूँ ,

मेरे पागल दिल से पूछो ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज

Views: 849

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on August 24, 2013 at 11:18pm

आदरणीय नीरज मिश्रा जी प्रभावित करती पंक्तियाँ उम्दा प्रस्तुति के लिए बधाई ।

Comment by vijay nikore on August 24, 2013 at 7:50pm

सुन्दर भावाभिव्यक्ति।

बधाई आदरणीय नीरज जी। सादर,

विजय निकोर

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 24, 2013 at 12:28pm

नीरज भाई इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें किन्तु अब ईच्छा कुछ और भी पढ़ने की है अपेक्षा बढ़ गई है आपसे भाई.

Comment by बृजेश नीरज on August 24, 2013 at 12:19pm

आप शायद ऐसी ही वाहवाही पसंद करते हैं, जैसी यहां हो रही है।
पहले तो आप यह बतायें कि नज़्म होती क्या है?
आपके साथ एक मुश्किल है कि आप व्याकरण और नियमों का पालन नहीं करना चाहते लेकिन अपनी रचना को गज़ल, नज़्म आदि आदि नाम देना चाहते हैं और कोई टोक दे तो आप बिदक जाएंगे। क्यों भाई, यह नज़्म क्यों और कैसे है? पहले इस पर विचार किया जाना चाहिए।
आदरणीय, आपका मार्गदर्शन इस बिंदु पर चाहिए।

Comment by विजय मिश्र on August 23, 2013 at 3:58pm
मंत्रमुग्ध सा पढ़ गया -मेरे पागल दिल से पूछो | मनोरम काव्य रचना ,बधाई नीरजजी
Comment by Lata tejeswar on August 23, 2013 at 12:19pm

भाई बहुत ही सुन्दर

Comment by ram shiromani pathak on August 22, 2013 at 9:31pm

वाह वाह क्या कहने  भाई बहुत ही सुन्दर  //बहुत बहुत बधाई आपको //सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 22, 2013 at 8:25pm

नीरज भाई लाजवाब नज़्म , सुन्दर भाव , दिली बधाई !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 22, 2013 at 8:06pm

माना तुमसे दूर बहुत हैं ।
हम दिल से मजबूर बहुत हैं ।
प्यार की रस्मे कैसे निभायें,

दुनिया के दस्तूर बहुत हैं ।.........सच! बहुत विवशता है, जमाने के दस्तूरों से

आदरणीय नीरज भाई, कमाल की नज्म हुयी, बहुत बहुत बधाई

Comment by वेदिका on August 22, 2013 at 7:25pm

बहुत ही सुंदर नज्म, दिल के भावों को बखूबी बयां करती हुयी!!

बधाई आ० नीरज जी! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्ते ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई। अच्छे भाव और शब्दों से सजे अशआर हैं। पर यह भी है कि…"
34 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई आपको  अच्छे मतले से ग़ज़ल की शुरुआत के लिए…"
46 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रास्ता  घर  का  दूसरा  तो  नहीं  जीना मरना अलग हुआ तो…"
50 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"2122 1212 22 दिल को पत्थर बना दिया तो नहीं  वो किसी याद का किला तो नहीं 1 कुछ नशा रात मुझपे…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल अंत आतंक का हुआ तो नहींखून बहना अभी रुका तो नहीं आग फैली गली गली लेकिन सिर फिरा कोई भी नपा तो…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार नीलेश भाई, एक शानदार ग़ज़ल के लिए बहुत बधाई। कुछ शेर बहुत हसीन और दमदार हुए…"
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार जयहिंद रायपुरी जी, ग़ज़ल पर अच्छा प्रयास हुआ है। //ज़ेह्न कुछ और कहता और ही दिलकोई अंदर मेरे…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ज़िन्दगी जी के कुछ मिला तो नहीं मौत आगे का रास्ता तो नहीं. . मेरे अन्दर ही वो बसा तो नहीं मैंने…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी आयोजन का उद्घाटन करने बधाई.ग़ज़ल बस हो भर पाई है. मिसरे अधपके से हैं…"
7 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"देखकर ज़ुल्म कुछ हुआ तो नहीं हूँ मैं ज़िंदा भी मर गया तो नहीं ढूंढ लेता है रंज ओ ग़म के सबब दिल मेरा…"
17 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"सादर अभिवादन"
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"स्वागतम"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service