तड़पा करूँ तेरी याद में हर पल ।
बन के रहूँ तेरे प्यार में पागल ।
मेरी जाना । मेरी जाना ।
मेरी जाना । मेरी जाना ।
तुझे भूलूं न कभी तुझे छोड़ूं न कभी ।
तेरे लिए मै जियूँ तू है मेरी ज़िन्दगी ।
दीवाने दिल की चाहत बनकर ।
आती हो मेरे ख़्वाबों में अक्सर ।
मेरी जाना । मेरी जाना ।
मेरी जाना । मेरी जाना ।
तेरा सपना सजाऊं तुझे अपना बनाऊं ।
लाऊं तोड़ के तारे तेरी मांग सजाऊं ।
तोड़ न जाना जन्मों का बन्धन ।
छोड़ न जाना प्रीत का दामन ।
मेरी जाना । मेरी जाना ।
मेरी जाना । मेरी जाना ।
मौलिक व अप्रकाशित
नीरज
Comment
// जाना // शब्द का अभिप्राय नही समझ सकी!
रचना पर बधाई स्वीकारें !!
आदरणीय नीरज जी बहुत अजीब लगता है। आप एक तरफ लंबी बहसें करते हैं, आध्यात्मिकता की बातें करते हैं और फिर अचानक इस तरह की रचना करते हैं। इस रचना में क्या खास बात है, यह तलाशने का प्रयास करता हूं। किसी साधारण से फिल्मी गाने से अलग यह किस तरह है, यह सोचने का विषय है।
खैर, इस भावाभिव्यक्ति के लिए आपको हार्दिक बधाई!
सादर!
शुक्रिया श्याम नारायण भाई ।
बहुत ही सुन्दर! हार्दिक बधाई आपको! |
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