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Lata tejeswar
  • maharastra
  • India
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Profile Information

Gender
Female
City State
Mumbai, Maharastra
Native Place
mumbai
Profession
Author, Novelist, poetess, freelance writer
About me
जन्म स्थान--- परलाखेमुंडी, गजपति जिल्ला, ओडिसा भाषा: ओड़िया(शिक्षा) , तेलुगु(मातृ भाषा) अंग्रेजी, हिंदी, शौक्षिक-- योग्यता-डिग्री, रूचियाँ- विविध विधाओं में लेखन -- पठन के साथ-साथ संगीत के प्रती रूची लेखन की विधाएँ- कविता, मुक्तक, शेर-शायरी, हाइकू, गज़ल, यात्रा संस्मरण, लघू कथा, उपन्यास व् शोध पत्र। पहली रचना प्रकाशीत २००७ में रिलायंस की एक निजी पत्रिका में प्रकाशीत हुई प्रकाशित पुस्तकें -१. मैं साक्षी यह धरती की (काव्य संग्रह), २ हवेली(उपन्यास) , 3.'The Waves of Life' (अंग्रेजी) प्रकाशन के ओर -1. चाँदनी रात में तुम (काव्य संग्रह) 2. सैलाब दर्द की दास्ताँ(लघु उपन्यास) पांडुलिपि -1. बाल कहानियाँ 2. एक लघु उपन्यास के 50 पृष्ठ तक लिखी गयी है। पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाओं की संख्या- 35 से भी ज्यादा काव्य, आलेख समाज कल्याण पत्रिका, एडिटर मीडिया ट्रायल, साहित्य समीर दस्तक, दृष्टिपात, सत्य दर्शन, लोकजंग जैसे 20 प्रतिष्ठित मॉगाजिनों, अखबारों के अलावा इ-मॉगाजिन और बभिन्न हिंदी व अंग्रेजी किताबों में भी यात्रा संस्मरण कविता व कहानियाँ आदी प्रकाशीत हुई है। विभिन्न साइट्स पर यानी पोयम्स हंटर, लिटाग्राम, यू-ट्यूब पर कई विजुअल पोएट्रि अँग्रेजी में प्रशारित है। 400 से अधिक गज़लें, कविताएँ, मुक्तक, शेर ऑनलाइन फेसबुक व अन्य साइट्स और अन्य ब्लॉग्स जैसे की फेसबुक पेज पर हिंदी, अंग्रेजी में प्रकाशित व प्रशारित है। पर्याटन: अंतराष्ट्रीय प्रदेश भूटान के अलावा भारत के बिभिन्न प्रदेश के दौरा। राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय साहित्य सम्मलेन व काव्यगोष्ठी में भागीदारी। सम्मान: 1) महाराजा कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, 2015. 2) "में साक्षी यह धरती की" के लिए साहित्य गरिमा सम्मान, 2015. 3) सोशल मीडिया प्रतिभा सम्मान (2016), 4) नारी गौरव सम्मान (2016).

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मैं दामिनी हूँ

मैं दामिनी हूँ



आप की जैसी एक जिंदगानी हूँ

जीना था मुझे आप की तरह

रोज़ सवेरे उठकर ऑफिस जाना था

एक छोटा सा घर बनाना था।



किसीकी बहन तो थी ही

किसीकी जननी भी कहलानी थी

माँ मुझे जीना था।



आज जल गया मेरा सवेरा

टूट गये सारे अरमान मेरे

जा रही मैं इस दुनिया को छोड़ कर

मगर माँ मुझे जीना था

रोज़ सवेरे आप का पैर छूना था।



उजाड़ गयी दुनिया मेरी

पर एक ख्वाब मुझे बुनना था

मगर माँ मुझे जीना था।



कैसे…
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Posted on September 13, 2013 at 8:30pm — 24 Comments

इंतज़ार

वह एक छोटा सा टुकड़ा

जिस में मैने आशाओं को कैद कर

तुम्हें समर्पित किया था,

क्या तुमने वह

कागज का दिल

स्वीकार किया है,

कान्हा …. ?

मेघमाला के द्वारा

जो संदेश तुम्हें भेज था -

क्या उस दिल की धड़कन

तुमने सुनी थी

प्रभु. … ?



हवा में लहराते

मेरे शब्दों की गूँज

क्या तुन तक

पहुँच पायी है,

नाथ  … ?

चंद्रमा को देखते हुए

मेरे दिल में अंकित तुम्हारा रूप

जो मुझे नज़र आता है,

उस चंद्रमा में…
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Posted on August 22, 2013 at 9:30am — 8 Comments

तुझे इकरार हो तो चली आना।

कभी न आएँगे तेरे दर पे

कि तेरे बिना

जीना मंजूर है हमें

कभी न ताकेंगे तेरे राह

कि तेरे बिना

जीना मंजूर है हमें।



एक आशियाना मिला था,

एक फूल खिला था,

जो मुरझा गया समय से पहले

उस फूल को लेकर

अब मैं कहाँ जाऊँ।



जिसमे सजानी थी

बचपन की यादें,

समेटनी थी कुछ खुशियाँ

तेरे साथ उन खुशियों को

ढूंढने अब मैं कहाँ जाऊँ।



एक शाम बितानी थी तेरे संग

दुनिया को भूलकर

आसमान छूना था,

उन सपनों को लेकर

अब मैं कहाँ…

Continue

Posted on July 25, 2013 at 4:00pm — 12 Comments

एक बेबस आत्मा

शून्य की गहरा अन्धकार में

भटक रही एक बेबस आत्मा ..

न कोई अपना उसका

न कोई सपना ....

रोंदू एक मोम सी गुडिया

रो रही थी उन सीढियों पर

छोड़ गई थी कोई बेबस माँ

उस भगवान की द्वार ...

रोंदू सी वह गुडिया रोए जा रही थी ...

रोती हुई गुडिया को देख

वह आत्मा कुछ ऐसे बिल्ल्ख गई

बहक गई ...

ममता जो उसकी जगगई ...

बेबस वह बच्ची को गोद में लेने

तड़प रही ...

न था उसका हाथ,

न था उसका पैर

एक हवा बन कर सहलाती रही ..

न थी वह…
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Posted on July 18, 2013 at 1:30pm

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