For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सहरा में कहीं खो जायें न हम, आवाज़ हमें देते रहना ।
नयी राहों का नयी मंजिल का, आगाज़ हमें देते रहना ।

माना कि उदासी के सायें कभी हमको घेर भी लेते हैं ,
खुश रहकर जीने का अपना, अन्दाज़ हमें देते रहना ।

जब गिरने लगे ये तनहा मन घनघोर निराशा के तल में,
ऐसे में अपनी उल्फत की, परवाज़ हमें देते रहना ।

भावों की लहर जब उठती है, शब्दों के शहर बह जाते हैं ,
वो प्यार सहेजने को अपने, अल्फ़ाज़ हमें देते रहना ।

जो दिल में हमारे रहती है  हम सब तुमसे कह जाते हैं ,
प्रियतम तुम भी अपने दिल के, हर राज़ हमें देते रहना ।

जीवन के फसानों से गुज़रे, जो दिल के तरानों से गुज़रे ,
वो गीत हमें देते रहना , वो साज हमें देते रहना ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज

Views: 609

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Nishchal on August 19, 2013 at 10:26pm

आदरणीया प्राची जी ज़रूर ,
बहुत बहुत आभार आपका ।

Comment by Neeraj Nishchal on August 19, 2013 at 10:20pm

आदरणीय विजय भाई
दिन कुछ और हो जाता है
रात कुछ और हो जाती है ।
हमारी गली में आपके आने से
बात कुछ और हो जाती है ।

बहुत बहुत बहुत बहुत
अनुग्रह आपका ।

Comment by Neeraj Nishchal on August 19, 2013 at 10:15pm

आदरणीय आशुतोष जी आप की टिपण्णी
से बहुत बहुत अनुग्रहीत हूँ .....
और बहुत बहुत आभार प्रकट करता हूँ ।

Comment by Neeraj Nishchal on August 19, 2013 at 10:13pm

बहुत बहुत आभार ।
भाई आदित्य कुमार ।
जी ।

Comment by Neeraj Nishchal on August 19, 2013 at 10:10pm

आदरणीय अरुण भाई पहले तो आप का
बहुत बहुत शुक्रिया .........
अभी उर्दू ग़ज़ल कक्षा में सीख रहा हूँ
और जल्दी ही शायद सीख भी जाऊं
फिर बहर भी ज़रूर लिखूंगा ।
अभी तो ग़ज़ल बनती है गुनगुनाने पर
मतलब गाते गाते बन जाती है ....
बहुत बहुत आभार ।

Comment by Neeraj Nishchal on August 19, 2013 at 10:04pm

आदरणीय गिरिराज भाई बहुत बहुत बहुत बहुत
शुक्रिया ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 19, 2013 at 7:39pm

भाई नीरज मिश्रा जी 

गज़ल के साथ बह्र भी ज़रूर लिख दिया करें...

Comment by विजय मिश्र on August 19, 2013 at 4:41pm
"भावों की लहर जब उठती है, शब्दों के शहर बह जाते हैं ," दमखम से भरा है . सुंदर रचना , हार्दिक बधाई नीरजजी
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 19, 2013 at 8:24am

जीवन के फसानों से गुज़रे, जो दिल के तरानों से गुज़रे ,
वो गीत हमें देते रहना , वो साज हमें देते रहना ...हमारी भी यही कामना है ..शानदार प्रयास ..

Comment by Aditya Kumar on August 18, 2013 at 6:13pm

अति सुन्दर रचना ! हार्दिक बधाई आदरणीय भाई नीरज जी !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service