For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साँझ ढली तो आसमान से धीरे-धीरे

रात उतर आई चुपके-चुपके डग भरती

स्याह रंग से भरती कण-कण वह यह धरती

शांत हुआ माहौल और सब हलचल धीरे

 

कल-कल करती धारा का स्वर नदिया तीरे

वरना तो, सब कुछ शांत, भयावह रूप धरे

जीव सभी चुप हैं सहमे, दुबके और डरे

कुछ अनजानी आवाज़ें खामोशी चीरे

 

मन सहमा जब भीतर यह काली पैठ हुई

लोभ और मोह कितने उसके संग उपजे

भ्रम के झंझावातों में पग पल-पल बहके

साथ सभी छूटे, आभा सारी भाग गई

 

सहसा कुछ किरनें फूटीं, इक आशा जागी

जग की, मन की परतों से सब कालिख भागी

                                        - बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 967

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on September 3, 2013 at 6:14pm

आदरणीय सौरभ जी आपका हार्दिक आभार!
मेरी इच्छा है कि यह विधा हिन्दी में स्थापित हो।
आपका यह कहना सही है कि यह विधा गेयता की पक्षधर है। अभी मेरे प्रयासों में तुकांत और गेयता को लेकर बहुत कार्य करने की आवश्यकता है, यह मुझे भी लगता है। इस क्षेत्र में आपका मार्गदर्शन मेरे लिए महत्वपूर्ण होगा। दरअसल, इस विधा पर मेरे जो भी प्रयास रहे वह सिर्फ अपने को इसके नियमों में संयत करने के प्रयास भर हैं। अभी मुझे इस विधा में अपनी कलम को साधने में बहुत श्रम करना है। आपको सतत मार्गदर्शन मेरी कठिनाइयों को निश्चित ही सरल करेगा।
सादर!

Comment by बृजेश नीरज on September 3, 2013 at 6:08pm

आदरणीया वंदना जी आपका हार्दिक आभार!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 31, 2013 at 9:25am

भाई बृजेशजी, सॉनेट पर हुआ आपका गंभीर प्रयास सुखकर लगा. इसकी तो पहली बधाई.

दूसरी बधाई कि आप इस विधा पर वास्तविक रूप से गंभीर हैं.

परन्तु आत्मीय बधाइयों के साथ-साथ एक बात अवश्य कहना चाहूँगा जो हिन्दी-सॉनेट विधा में शास्त्रीय कविता-प्रयास को इन्फ्यूज किये जाने की है. विश्वास है, आप मेरे कहे को स्वीकार कर अपने माध्यम से जग-जाहिर कर देंगे. सॉनेट वस्तुतः गेयता का पक्षधर है. इसके हिन्दी प्रारूप में इस तथ्य के प्रति हम अवश्य संवेदनशील बनें. और साथ ही, कविता की दशा का निर्वहन भी आवश्यक है. यथा, तुकान्तता या पंक्तियों (पदों में) में अंत्यानुप्रास की उपस्थिति और उसका सकारात्मक प्रभाव.

गीत, छंद या कोई गेय रचना भारतीय मानस की जीवंतता का परिचायक है. धुन, लय और सुर हमारी धमनियों में रक्त के साथ दौड़ते हैं. इसको बिसरा कर या इस तथ्य से आँखें चुरा कर हम एक रचना प्रयास-कर्ता के तौर अपनी कमियों भले छुपा लें, लेकिन काव्य-तत्त्व के प्रति अपने दायित्वों से भाग नहीं सकते. मैं आपको नहीं, बल्कि आपके माध्यम से इस तथ्य को जग-जाहिर कर रहा हूँ.

अपनी कार्यालयी एवं अन्यान्य व्यस्तताओं के कारण आपके सॉनेट वाले लेख में मैंने अपनी बात को आधे पर ही रोका हुआ है. इसका भान है मुझे. वहाँ पुनः अवश्य आऊँगा.
शुभेच्छाएँ

Comment by Vindu Babu on August 31, 2013 at 8:12am
इस गाम्भीर्य संयोजित भावपूर्ण सानेट के लिए आपको बहुत बधाई आदरणीय।
सादर
Comment by बृजेश नीरज on August 30, 2013 at 11:07pm

आदरणीय जितेन्द्र जी बहुत बहुत धन्यवाद!

Comment by बृजेश नीरज on August 30, 2013 at 11:06pm

आदरणीया महिमा जी आपका बहुत बहुत आभार!

Comment by बृजेश नीरज on August 30, 2013 at 11:05pm

आदरणीया गीतिका जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 30, 2013 at 10:55pm

सुंदर भावनात्मक रचना, बहुत बहुत बधाई आदरणीय बृजेश जी

Comment by MAHIMA SHREE on August 30, 2013 at 10:51pm

मन सहमा जब भीतर यह काली पैठ हुई

लोभ और मोह कितने उसके संग उपजे

भ्रम के झंझावातों में पग पल-पल बहके

साथ सभी छूटे, आभा सारी भाग गई........... वाह

 

सहसा कुछ किरनें फूटीं, इक आशा जागी

जग की, मन की परतों से सब कालिख भागी......सुंदर प्रस्तुति आदरणीय बधाई आपको

Comment by वेदिका on August 30, 2013 at 10:17pm

सुंदर भाव पूर्ण सोनेट की प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारिये आदरणीय बृजेश जी!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
17 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
17 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service