बढ़े चलो - बढ़े चलो
स्वप्न सच किये चलो
जो भी आये राह में
लिये चलो - लिये चलो...
अड़्चनों - रुकावटों
चुनौतियों का सामना
दृढ़ प्रतिज्ञ बनके तुम
किये चलो - किये चलो...
अनुभवों से सीख लो
कमियों को सुधार लो
सबको ऐसी प्रेरणा
दिये चलो - दिये चलो...
आकलन से कम मिले
तो भी मुस्कुराओ और
बाकी पाने के लिये
लगे रहो - लगे रहो...
हार हो कि जीत हो
कि धूप हो कि छांव हो
तुम सदैव एक से
बने रहो - बने रहो...
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
- विशाल चर्चित
Comment
हार हो कि जीत हो
कि धूप हो कि छांव हो
तुम सदैव एक से
बने रहो - बने रहो...
प्रिय विशाल जी बहुत सुन्दर आह्वान .....प्यारी रचना
भ्रमर ५
आपके स्नेहिल मार्गदर्शन को नमन सौरभ सर जी.......हां सही कहा आपने सर कि काफी दिनों बाद मंच पर आना हुआ....वजह काम काज की अति व्यस्तता रही.....!!!
हार्दिक धन्यवाद डॉ. प्राची जी !!!
बहुत - बहुत शुक्रिया प्रियंका जी !!!!
केवल भाई आभारी हूं आपका !!!
दिल से शुक्रगुजार हूं आपका शुभ्रा शर्मा जी !!!!
श्याम भाई जी धन्यवाद !!!!
बधाई हेतु आभार विजय भाई !!!
बहुत - बहुत शुक्रिया अरुन भाई....हां आपने सही कहा...पिछले कुछ महीने काफी उलझे हुए थे.....!!!
हृदय से आभारी हूं आपका गिरिराज भंडारी सर जी !!!!
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