घोटाले कर कर हुई, भ्रष्ट आज सरकार
जनता डर डर रह रही, संसद भी बीमार
संसद भी बीमार, मिलै नहि मोहे चैना
जुल्मी है सरकार, बड़ा मुश्किल है रहना
कह सागर सुमनाय, काम तो इनके काले
खाना बांटे मुफ्त, करे नित नए घोटाले
आशीष श्रीवास्तव - सागर सुमन
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
विजय मिश्र : सादर आभार
आदरणीय विजय मिश्र जी
बधाई और संवेदनात्मक टिप्पनि के लिए हार्दिक आभार
जड़ा तमाचा गाल पर , लाल दाग परि जाय
असर न हो बेशर्म को , शर्म बेचि के खाय
aadarniya annapurna bajpai ji , arun ji , evam bhandari ji , aap sabhi ko hraday se naman ki kundli vidha par likhne par aapne jo sneh rupi marg prshahst kiya hai .
आ० आशीष जी सुंदर भावों को बड़ी सहजता से पिरोया है , आपको बधाई ।
बेहद सुन्दर कुण्डलिया छंद भाई आशीष ढेरों बधाई स्वीकारें.
आशीष भाई , उम्दा प्रस्तुति , बधाई !!
sarahna ke liye aabhar
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online