For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये..इश्क ही तो है..

चमकती चाँदनी के काजल सी रात..


सर्द हवा और तारों का साथ.. 

लहराती ज़ुल्फ़ें,बेचैन दिल.. 

तेरा ख़त और प्यार की बात.. 


जागी आँखें सोए से हम.. 

मुस्काते लब,पलकें नम.. 

उड़ता आँचल,ठहरा पल…

काबू ना आएँ ये जज़्बात.. 


बातें तेरी प्यार भरी.. 

करने लगी हैं,जादूगरी.. 

भाने लगी है हर हलचल.. 

तुमने समझ ली मेरे दिल की बात.. 


ये..इश्क ही तो है.. 

Views: 378

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Lata R.Ojha on December 27, 2010 at 1:21pm
आभार अभय जी :) 
Comment by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 27, 2010 at 2:20am
Lata Jee, Thanks for impressive expression.bhay......
Comment by Lata R.Ojha on December 23, 2010 at 4:00pm
भास्कर जी और नवीन जी आप दोनो का बहुत बहुत धन्यवाद :) 
Comment by Bhasker Agrawal on December 23, 2010 at 6:16am

 

चमकती चाँदनी के काजल सी रात...
वाह!! शुरुआत में ही कमाल कर दिया ...बहुत खूब
Comment by Lata R.Ojha on December 22, 2010 at 11:29pm
Dhanyavaad Manoj ji :)
Comment by Lata R.Ojha on December 22, 2010 at 10:01pm
तारीफ के लिए शुक्रिया गणेश जी :) 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 22, 2010 at 9:08pm
बातें तेरी प्यार भरी..
करने लगी हैं,जादूगरी..
भाने लगी है हर हलचल..
तुमने समझ ली मेरे दिल की बात..
ये..इश्क ही तो है.....

हा हा हा , सही कहा आपने, यह प्यार ही है, बेहतरीन कविता, शानदार अभिव्यक्ति हेतु बधाई |
उम्मीद करते है कि आगे भी आपकी बेहतरीन रचनायें और अन्य रचनाओं पर आपकी बहुमूल्य टिप्पणिया प्राप्त होती रहेगी |
Comment by Lata R.Ojha on December 22, 2010 at 8:18pm
bahut bahut dhayavaad Giri ji :)
Comment by Rash Bihari Ravi on December 22, 2010 at 6:39pm
khubsurat lajabab

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service