For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Abhay Kant Jha Deepraaj
  • Male
Share on Facebook MySpace

Abhay Kant Jha Deepraaj's Friends

  • Nilesh Shevgaonkar
  • Ruchir Shukla
  • Yogendra B. Singh Alok Sitapuri
  • sanjeev sameer
  • anupama shrivastava[anu shri]
  • pandurang puranik
  • रंजना सिंह
  • shekhar jha`
  • rakhi budhiraja
  • madan kumar tiwary
  • Azeez Belgaumi
  • Bhasker Agrawal
  • VIBHUTI KUMAR
  • Akshay Thakur " परब्रह्म "
  • Roli Pathak
 

Abhay Kant Jha Deepraaj's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Gwalior - Madhya Pradesh
Native Place
Village - Sapta, District - Madhubani State - Bihar
Profession
Teaching & writting
About me
I am writting ghazals, poems songs in hindi & maithily.

Abhay Kant Jha Deepraaj's Photos

  • Add Photos
  • View All

Abhay Kant Jha Deepraaj's Blog

ग़ज़ल क्रमांक - २

ग़ज़ल / रचना पूर्व प्रकाशित होने के कारण एवं ओ बी ओ नियमों के अनुपालन के क्रम में प्रबंधन स्तर से हटाई जा रही है.

एडमिन

2014041807

Posted on April 18, 2015 at 2:00am — 8 Comments

ग़ज़ल क्रमांक - १

ग़ज़ल / रचना पूर्व प्रकाशित होने के कारण एवं ओ बी ओ नियमों के अनुपालन के क्रम में प्रबंधन स्तर से हटाई जा रही है.

एडमिन

2014041907

Posted on April 16, 2015 at 9:00pm — 2 Comments

GHAZAL - 28

                        ग़ज़ल



पूछिए मत किस तरह ?  घड़ियाँ  मुक़म्मिल कर रहा हूँ |

लोग  कहते  हैं  कि -  ज़िंदा  हूँ   मगर   मैं  मर  रहा  हूँ ||



तख्त    मेरा    बन    गया    ताबूत    अब    मेरे   लिए,

कब्र  तक जाने  का  ही  अब  फ़र्ज़  मैं  ये  कर  रहा   हूँ ||



रौशनी   भी  अब  तो   धुँधलापन   लिए   दिखने   लगी,

फिर भी, कल शायद सुबह हो,   इसलिए मैं लड़ रहा…
Continue

Posted on March 13, 2011 at 12:30am

GHAZAL - 27

                      ग़ज़ल



दोस्त   मेरी   दोस्ती   पर   नाज़   करके   देख   ले |

गीत  हूँ  मैं,  अपने  दिल  को  साज़  करके देख ले ||



मैं  तुझे  एक  शाह  का  रुतबा   दिला   दूँगा   कभी,

प्यार  से  तू  मुझको  अपना  ताज  करके  देख ले ||



गर  कभी  मैं  तल्ख़  था,   वो बदजुनूं था प्यार का,

दिल  नहीं  बदला  मेरा,   अंदाज़  कर  के  देख  ले ||



आज  भी  मैं  गुज़रे  कल  का  आदमी …
Continue

Posted on February 20, 2011 at 9:25pm — 1 Comment

Comment Wall (10 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 1:21pm on January 17, 2011, Abhinav Arun said…
शुक्रिया अभयकान्त जी आभारी हूँ |
At 9:34pm on January 16, 2011, Shamshad Elahee Ansari "Shams" said…
Abhay ji...main aapka bahut aabhaari hun...bahut bahut shukriya aapka
Sadar
At 10:56pm on January 5, 2011, Admin said…

aapka post kiya Desh Bhakti geet Maha Event mey post kar diya gaya hai .

http://www.openbooksonline.com/forum/topics/obo-3?commentId=5170231%3AComment%3A45067

At 10:21am on December 22, 2010, Pankaj Trivedi said…
Swagat..... Swagat...
At 1:16pm on December 19, 2010, anupama shrivastava[anu shri] said…

thax and welcome.........

At 3:08pm on December 17, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 11:43pm on December 16, 2010, Julie said…

अपनी दोस्ती से नवाजने का बहुत बहुत शुक्रिया... 'अभय जी'...!! -जूली

At 6:59am on December 16, 2010, Bhasker Agrawal said…

में समझा नही आप किस भाव के बारे में बात कर रहे हैं

At 9:42pm on December 12, 2010, Admin said…

At 7:11pm on December 7, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से मश्कूर हूँ।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service