ग़ज़ल / रचना पूर्व प्रकाशित होने के कारण एवं ओ बी ओ नियमों के अनुपालन के क्रम में प्रबंधन स्तर से हटाई जा रही है.
एडमिन
2014041807
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on April 18, 2015 at 2:00am — 8 Comments
ग़ज़ल / रचना पूर्व प्रकाशित होने के कारण एवं ओ बी ओ नियमों के अनुपालन के क्रम में प्रबंधन स्तर से हटाई जा रही है.
एडमिन
2014041907
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on April 16, 2015 at 9:00pm — 2 Comments
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on March 13, 2011 at 12:30am — No Comments
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on February 20, 2011 at 9:25pm — 1 Comment
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on February 20, 2011 at 8:58pm — No Comments
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on February 4, 2011 at 7:00pm — 2 Comments
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on January 15, 2011 at 9:00pm — 1 Comment
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on January 15, 2011 at 12:58pm — 4 Comments
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on January 15, 2011 at 12:30pm — 4 Comments
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 25, 2010 at 7:46pm — 1 Comment
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 25, 2010 at 11:35am — 2 Comments
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 24, 2010 at 11:05pm — No Comments
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 24, 2010 at 10:55pm — 2 Comments
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 22, 2010 at 2:30pm — 3 Comments
ग़ज़ल
प्रश्न मेरे सामने यह एक अन्धा सा कुआँ है |
क्या हुआ जो दोस्त था कल आज वो दुश्मन हुआ है ||
जिसने दी थी कल खुशी, वो आज आँसू दे रहा,
ये न जाने किसकी मेरे वास्ते एक …
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 20, 2010 at 3:00am — 2 Comments
ग़ज़ल
रात - रात भर सोते - जगते, मैंने उसे मनाया है |
फिर भी खुदा न मेरा अब तक, सिर सहलाने आया है ||
कहते हैं- मालिक ने हमको, तुमको, सबको, जन्म दिया,
पर लगता है - कोई वो पागल था जिसने भरमाया है ||
एक …
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 19, 2010 at 12:00am — 2 Comments
ग़ज़ल
मैं दर्दों का समंदर हूँ, ग़मों का आशियाना हूँ |
मैं जिंदा लाश हूँ , बीमार दिल , घायल फसाना हूँ ||
बदन पर ये हजारों ज़ख्म, तोहफे हैं ये अपनों के,
मैं जिनके प्यार का बीमार, आशिक हूँ , दिवाना हूँ ||…
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 18, 2010 at 9:30pm — 1 Comment
ग़ज़ल
बहुत विषैला है विष यारो, दुनिया की सच्चाई का |
आखिर, कैसे दर्द सहें हम, दिल में फटी बिवाई का ||
बनकर इन्सां जीते - जीते खुद को हमने लुटा दिया,
फिर भी तमगा मिला न हमको एक अदद अच्छाई का ||…
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 18, 2010 at 2:00am — 2 Comments
ग़ज़ल
दिलनशीं, सुन ले कि- मुझको, तुझ से कितना प्यार है |
तुझमें ही सारी दुनिया, और मेरा संसार है ||
प्यार है इतना नज़र से , दिल तलक तेरे वास्ते ,
ज़र्रे - ज़र्रे में तेरा ही अक्श एक दरकार है ||…
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 15, 2010 at 8:00pm — 2 Comments
ग़ज़ल
मीत मेरे मैं तुम्हारी रूह का श्रृंगार हूँ |
प्यार हो तुम मेरे दिल का, मैं तुम्हारा प्यार हूँ ||
हर ख़ुशी और राह मेरी, मीत मेरे एक है,
तू मेरा आधार प्रियतम, मैं तेरा आधार हूँ ||
तू…
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 14, 2010 at 9:30pm — No Comments
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