For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

                               ग़ज़ल

बहुत  विषैला  है  विष  यारो,  दुनिया   की  सच्चाई  का |
आखिर,   कैसे  दर्द  सहें  हम,  दिल  में  फटी बिवाई का ||

बनकर  इन्सां  जीते - जीते  खुद  को  हमने  लुटा  दिया,
फिर  भी  तमगा मिला न हमको एक अदद अच्छाई का ||

वे  रिश्ते  जो  कल तक हमको, अपना सब कुछ कहते थे,
आज  वही  हमको  कहते  हैं -  एक  अपरूप  बुराई   का ||

गैरों  की  नफरत  से  कैसा शिकवा और शिकायत क्या ?
मिल  न  सका  विश्वास  हमें  तो,  हमको अपने भाई का ||

नैतिकता   के   सारे   बंधन   और   कर्त्तव्य   हमारे   थे,
अधिकारों   की   दावेदारी   पर   अधिकार   ढिठाई   का ||

गाली  दें, अपमान  करें  वो , उनको  ये  अधिकार मिला,
और  हमें  कर्त्तव्य -   उन्हें  हम  समझें  रूप मिठाई का ||

कल तक जो भी सीखा हमनें , धर्म - न्याय की भाषा से,
चलन  आज  उल्टा  है  उससे, नवयुग  की  तरुणाई का ||

अपनों  की  ठोकर  से  ही दिल, इतना लहूलुहान आज है,
डर   उसको   सहमा   जाता   है - अपनी भी परछाईं का ||

                                     रचनाकार - अभय दीपराज

Views: 320

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 23, 2010 at 8:12pm
प्रिय मित्र गणेशजी और शेष धर जी बहुत-बहुत धन्यवाद, कि - आप ने मेरी रचना को पढ़ा और मेरे प्रयास को सराहा | आपका अभयदीपराज 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 18, 2010 at 8:33pm

दीपराज जी, आपको पढ़ना वाकई सुकून दे रहा है........

 

गैरों  की  नफरत  से  कैसा शिकवा और शिकायत क्या ?
मिल  न  सका  विश्वास  हमें  तो हमको अपने भाई का ||

एक बेहतरीन शेर, जरा सा अटकाव लग रहा है "मिल  न  सका  विश्वास  हमें  तो हमको अपने भाई का ||

 

अपनों  की  ठोकर  से  ही दिल, इतना लहूलुहान आज है,
डर   उसको   सहमा   जाता   है - अपनी भी परछाईं का ||

सुंदर ख्यालात |

 

मतले के दुसरे शे'र मे "बिवाई" शब्द कुछ जमा नहीं, बिवाई तो पैर मे होता है दिल मे नहीं |

 




कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्ते ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई। अच्छे भाव और शब्दों से सजे अशआर हैं। पर यह भी है कि…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई आपको  अच्छे मतले से ग़ज़ल की शुरुआत के लिए…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रास्ता  घर  का  दूसरा  तो  नहीं  जीना मरना अलग हुआ तो…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"2122 1212 22 दिल को पत्थर बना दिया तो नहीं  वो किसी याद का किला तो नहीं 1 कुछ नशा रात मुझपे…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल अंत आतंक का हुआ तो नहींखून बहना अभी रुका तो नहीं आग फैली गली गली लेकिन सिर फिरा कोई भी नपा तो…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार नीलेश भाई, एक शानदार ग़ज़ल के लिए बहुत बधाई। कुछ शेर बहुत हसीन और दमदार हुए…"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार जयहिंद रायपुरी जी, ग़ज़ल पर अच्छा प्रयास हुआ है। //ज़ेह्न कुछ और कहता और ही दिलकोई अंदर मेरे…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ज़िन्दगी जी के कुछ मिला तो नहीं मौत आगे का रास्ता तो नहीं. . मेरे अन्दर ही वो बसा तो नहीं मैंने…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी आयोजन का उद्घाटन करने बधाई.ग़ज़ल बस हो भर पाई है. मिसरे अधपके से हैं…"
7 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"देखकर ज़ुल्म कुछ हुआ तो नहीं हूँ मैं ज़िंदा भी मर गया तो नहीं ढूंढ लेता है रंज ओ ग़म के सबब दिल मेरा…"
18 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"सादर अभिवादन"
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"स्वागतम"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service