ग़ज़ल
दिलनशीं, सुन ले कि- मुझको, तुझ से कितना प्यार है |
तुझमें ही सारी दुनिया, और मेरा संसार है ||
प्यार है इतना नज़र से , दिल तलक तेरे वास्ते ,
ज़र्रे - ज़र्रे में तेरा ही अक्श एक दरकार है ||
जब चले खंजर अदा के , मुझको कुछ शिकवा हुआ,
पर, मेरे दिल ने ये माना- ये तेरा अधिकार है ||
प्यार के बदले में तेरा प्यार है मेरी आरज़ू,
तू भी कह एक बार लव से, दिल को जो इकरार है ||
हाथ से मैं अपने भर दूं , तेरा दामन फूल से ,
ये तमन्ना मेरी, तेरे दिल को एक उपहार है ||
वो बहारें तूने दी, मेरे चमन को हमनशीं ....
तू है तो दीद - ए - खुदा से भी मुझे इनकार है ||
रचनाकार- अभय दीपराज
Comment
जब चले खंजर अदा के , मुझको कुछ शिकवा हुआ,
पर, मेरे दिल ने ये माना- ये तेरा अधिकार है ||
वाह वाह वाह , खंजर चला दिये भाई साहब....
हाथ से मैं अपने भर दूं , तेरा दामन दमन फूल से ,
नजरेशानी की जरूरत है |
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