For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल / रचना पूर्व प्रकाशित होने के कारण एवं ओ बी ओ नियमों के अनुपालन के क्रम में प्रबंधन स्तर से हटाई जा रही है.

एडमिन

2014041807

Views: 470

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 18, 2015 at 9:44pm

आदरणीय अभय कान्त झा जी, आप स्वयम से "अप्रकाशित" का एक अनोखा और अलग अर्थ लगा  बैठे हैं जबकि ओ बी ओ नियमावली में सब कुछ स्पष्ट और विस्तार से साझा किया हुआ है, अनुरोध है कि पुनः एक बार अध्ययन कर लें.
खेद के साथ कहना है कि आपकी पूर्व प्रकाशित ग़ज़ल कुछ समय पश्चात ओ बी ओ प्रबंधन स्तर से हटा दी जायेगी. सादर.   

Comment by Abhay Kant Jha Deepraaj on April 18, 2015 at 9:36pm

आदरणीय बागी जी ! यह रचना इस पृष्ठ के सुधी पाठकों के लिए पूर्णतः नवीन है और जैसा मैं अपने ज्ञान से लिख पाता हूँ उसे इस पृष्ठ के सुधी पाठकों की अदालत में प्रस्तुत कर और कुछ सीखने की इच्छा से मैं यहाँ अपनी रचनायें प्रकाशित करने की अनुमति की कामना रखता हूँ ..... यदि अन्यत्र कहीं भी और कभी भी प्रकाशित रचना के लिए इस पृष्ठ पर प्रकाशन प्रति बंधित है तो मैं क्षमा याचना के साथ रचना को डिलीट करने का अधिकार आपको प्रदान करता हूँ ....... धन्यवाद सहित..... अभय कान्त झा"दीपराज"


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 18, 2015 at 6:55pm

बड़े ही तिर्यक कहन के साथ ग़ज़ल प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें आदरणीय.

एक महत्वपूर्ण प्रश्न : क्या यह प्रस्तुति "अप्रकाशित" श्रेणी में है जैसा की आपने घोषित कर रखी है ???

आदरणीय दीपराज जी मैं आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहूँगा कि ओ बी ओ नियमानुसार केवल अप्रकाशित रचनाएँ / ग़ज़लें इस मंच पर स्वीकार होती हैं .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 18, 2015 at 4:28pm

आ० दीप्रराज जी

मुझे आपकी रचना बहुत अच्छी   लगी . शिल्प के बारे में गुनीजन जानें .

Comment by narendrasinh chauhan on April 18, 2015 at 4:06pm

बहुत ही सुन्दर एवं सार्थक ग़ज़ल

Comment by Samar kabeer on April 18, 2015 at 10:35am
जनाब दीपराज जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकार करें |
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 18, 2015 at 10:25am
बहुत ही सुन्दर एवं सार्थक ग़ज़ल की प्रस्तुति ,सारगर्भित, भावपूर्ण, अर्थ पूर्ण, आदरणीय अभय कान्त झा जी ,बहुत बहुत बधाई।
Comment by Tapan Dubey on March 15, 2011 at 3:23pm
बहुत खूब अभय दीपराज जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
12 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Sunday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Jul 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Jul 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Jul 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service