For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रुँधे गले से मेरा नाम ले गयी

वो सफ़र की घड़ी
वो मुहब्बत की छड़ी
वो श्वेत मुस्कान की लड़ी
जैसे मानो दुनिया ही खड़ी

ऐसी अदा दिखलाके वो
जाने कहाँ गुम हो गयी
मुझे तन्हा छोड़ के गयी
मुझे बेसहारा कर के गयी..

उसका नज़रें चुराना
शर्म से पलकें झुकाना
हर अदा को छुपाना
जैसे खुद ही को झुठलाना

इतना करके भी वो खुद को रोक ना सकी
जैसे रुँधे गले से मेरा नाम ले गयी
खुद को झुठलाके वो खुद ही गुम हो गयी

वो अंजानी नगर
वो अनचाहा सफ़र
वो बंजर जिगर
जिसमे उठी लहर
लहर उठाके वो शमां को
परवाना दिखा ले गयी
मेरे दिल पर वो बिजली गिरा के गयी

उसके लहर को मैं भी सह ना सका
बिन कुछ बोले मैं खुद को रोक ना सका
चाहत का प्याला उसके सामने किया
उसने हंसकर धीरे से उसे टाल दिया

उसकी हरकत से मेरी आँखे नम हो गयी
उसके जाने के बाद लहर और बढ़ गयी
जैसे रुँधे गले से मेरा नाम ले गयी
आँखों से बिन बादल बरसात
करा के गयी…………………

Views: 530

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 23, 2010 at 10:16am
उसका नज़रें चुराना
शर्म से पलकें झुकाना
हर अदा को छुपाना
जैसे खुद ही को झुठलाना,
Kaha chhupa kar rakhey they hujur, Dil ka dard ko bahney dijiyey, rokiyey nahi, achha likh rahey hai ,likhatey rahey, aagey bhi intjaar raheyga aapki rachnao ka ,
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 22, 2010 at 11:56pm
वो सफ़र की घड़ी
वो मुहब्बत की छड़ी
वो श्वेत मुस्कान की लड़ी
जैसे मानो दुनिया ही खड़ी
bahut hi shaandar abhishek bhai......bahut dino baad aapki rachna aayi aur wo bhi ekdam dhamakedaar...bahut bahut dhanyabaad yahan post karne ke liye
Comment by Biresh kumar on May 22, 2010 at 11:28pm
उसका नज़रें चुराना
शर्म से पलकें झुकाना
हर अदा को छुपाना
जैसे खुद ही को झुठलाना
masha allah!! subhan allah!!!
Comment by Admin on May 22, 2010 at 5:27pm
उसकी हरकत से मेरी आँखे नम हो गयी
उसके जाने के बाद लहर और बढ़ गयी
जैसे रुँधे गले से मेरा नाम ले गयी
आँखों से बिन बादल बरसात
करा के गयी…………………
वाह अभिषेक बाबू, अच्छा लिखे है , आप अगर रेगुलर कुछ कुछ लिखते रहेंगे तो आपकी लेखन मे और भी सुधार होगा, अभी तो हम सभी भाग्यशाली है की ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार मे अच्छे-२ साहित्यकार लोग है जो हम लोगो को अच्छा लिखने मे अपने कमेंट्स और chat के द्वारा मदद भी कर सकते है, बहुत बढ़िया लगा आपका खुबसूरत पोस्ट देख कर , पर्यास बहुत बढ़िया है , आगे भी आप की रचना का इन्तजार रहेगा धन्यवाद,
Comment by Rash Bihari Ravi on May 22, 2010 at 4:58pm
bah gajab dhah gaila bhai man khush ho gail

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
20 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service