2122 2122 2122 2122
शेर मेरे ये सभी यूं तो ज़माने के लिए हैं।
बेवफा से भी मुहब्बत ही जताने के लिए हैं।।
याद है तुझको कभी तू भी रहा है साथ मेरे।
याद भी तेरी जहां में भूल जाने के लिए हैं।।
चाहता है दर्द उसके सब मिटे दुनिया से कमसिन।
दर्द भी कुछ सीने पर ही तो लगाने के लिए हैं।।
दिल उन्होंने यूं संभाला जैसे कोई आइना हो।
आइना तो यार सब ही टूट जाने के लिए हैं।।
जख्म मेरे जो भी दुनिया से मिले है प्यार में वो।
जख्म ये सब यार उनसे ही छुपाने के लिए हैं।।
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
केतन जी ग़ज़ल पर बढ़िया प्रयास किया है ---हाँ एक मुख्य बात पर गौर फरमाएं रदीफ़ के वचन पर ध्यान दीजिये हैं और है में फर्क महसूस कीजिये .......मतले की शुरुआत आपने शेर (बहुवचन )से की है तो रदीफ़ में हैं आना चाहिए था इसी तरह नीचे भी देखिये ये महीन सी गलती ही स्तर में फ़र्क ला देती है बहरहाल दाद कबूल कीजिये और इसे दुरुस्त करने की कोशिश कीजिये
आ0 केतन जी बहत ही बढ़िया गजल हुई है आपको बहुत बधाई ।
केतन भाई , सुन्दर गज़ल ! सभी शेर अच्छे लगे !! बशाई !!
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