For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : रखना ख्याल

रखना ख़याल शह्र का मौसम बदल न जाय
जुल्मत कहीं चराग़ की लौ को निगल न जाय

आमादा तो है नस्लकुशी पर अमीरे शह्र
डरता भी है कि उसका पसीना उबल न जाय

अजदाद से मिला जो असासा बचाके रख
मुट्ठी में सुखी रेत की तरह फ़िसल न जाय

तस्वीर तेरी देखकर कुछ ग़मज़दा हूँ मैं
इक दिन तेरे शबाब का सूरज ये ढल न जाय

हरगिज न आप जाइये साहिल के आस पास
डर है शवाए हुस्न से दरिया उबल न जाय

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 803

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Thakur on September 6, 2013 at 11:25am

जिंदाबाद !जिंदाबाद ! जिंदाबाद ! जिंदाबाद ! जिंदाबाद ! जिंदाबाद !

once again  जिंदाबाद ! sab jee

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on September 6, 2013 at 6:13am

जिंदाबाद !जिंदाबाद ! जिंदाबाद ! जिंदाबाद ! जिंदाबाद ! जिंदाबाद ! जिंदाबाद !

Comment by Sushil Thakur on September 2, 2013 at 6:46pm

 आ.Saurabh sab, Rajesh Kumari Mam, Vinas Sab, Ashutosh Sab  बहुत बहुत शुक्रिया।  

Comment by Abhinav Arun on September 2, 2013 at 7:18am

बेहतरीन ग़ज़ल हुई है आ. सुशील जी हर शेर बोल रहा है जिंदाबाद ! इस लाजवाब ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें !

Comment by वीनस केसरी on September 2, 2013 at 3:57am

वाह ... वागर्थ में प्रकाशन के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें
आपने यदि तर्ह २१ के वज्न में बाँधा है तो एक बार नज़ारे सानी फरमा लें मिसरा बेबहर हो जा रहा है ...

Comment by Sushil Thakur on September 1, 2013 at 6:05pm

Dharmendra sab, Arun Sab, Vandana Mam, Vinas Sab.Vijayshree Mam, Ashutosh Sab, Jitendra Sab, shyam sab, annapurna Mam, Giriraj Sab n all respected

आ. हौसला अफज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।  ग़ज़ल की सराहना जिस अंदाज़ में आप सब ने की है, मेरे पास शुक्रिया के लब्ज़ नहीं।  वीनस साब , तरह को मैंने तर-ह के जैसे कहा है।  एक सूचना आप से  आदान प्रदान करते हर्ष हो रहा है , आप सब की शुभकामनाओं की बदौलत 'वागर्थ' के इस अंक में मेरी दो ग़ज़लें आईं हैं। सादर

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 1, 2013 at 12:58pm

अच्छे अश’आर हुये हैं सुशील जी, बधाई स्वीकारें

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 1, 2013 at 12:28pm

वाह वाह लाजवाब लाजवाब लाजवाब दिल को छू लेने वाले अशआर वाह वाह बधाई स्वीकारें.

Comment by vandana on September 1, 2013 at 6:36am

बहुत शानदार ग़ज़ल है बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by वीनस केसरी on September 1, 2013 at 2:09am

वाह वा जनाब
एक बार फिर से आपकी शानदार ग़ज़ल ने लाजवाब कर दिया

इसके बाद तो बाद यही दोहराते बनता है ... जिंदाबाद जिंदाबाद

एक लफ़्ज़ पर मुझे आपसे इस्लाह की दरकार है ...
मैंने "तरह" लफ़्ज़ को "हरा" के वज्न में भी देखा है और और "राह" के वज्न में भी और सभी इन् दोनों को जाइज मानते हैं मगर आपने "हारा" के वज्न में बांधा है क्या यह अरूज के हवाले से जाइज है ?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service