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वो जिसको मालोज़र पैसा बहुत है

वो जिसको मालोज़र पैसा बहुत है

हक़ीक़त में वही रोता बहुत है

यक़ी करना ज़रा मुश्किल है तुझपे

तेरा तर्ज़े अदा मीठा बहुत है

वो पहली आरी की ज़द में रहेगा

शजर जो बाग़ में सीधा बहुत है

उसे तो साफगोई की है आदत

बगरना आदमी अच्छा बहुत है

वो कहता है "तुम्हें हम देख लेंगे"

हमारे पास भी रस्ता बहुत है

कभी तू ने हमें अपना कहा था

हमारे वास्ते इतना बहुत है

"मौलिक व अप्रकाशित"

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 2, 2013 at 9:13am

वो पहली आरी की ज़द में रहेगा
शजर जो बाग़ में सीधा बहुत है-----इस शेर की जितनी तारीफ़ करूँ कम होगी ,कितनी गंभीर बात कही है शेर के माध्यम से ,क्या कहने इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए दिल से दाद देती हूँ ।

Comment by वीनस केसरी on September 2, 2013 at 4:47am

बेपनाह खूबसूरत ग़ज़ल हुई है ... दाद क़ुबूल करें


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2013 at 11:46pm

ग़ज़ल का हर शेर क़ामयाब है, आदरणीय सुशील जी.

अतिशय बधाइयाँ

Comment by vijayashree on August 31, 2013 at 10:55pm

कभी तू ने हमें अपना कहा था

हमारे वास्ते इतना बहुत है

सुंदर ग़ज़ल

बधाई स्वीकारें 

Comment by MAHIMA SHREE on August 30, 2013 at 10:42pm

कभी तू ने हमें अपना कहा था

हमारे वास्ते इतना बहुत है.... वाह सुंदर गज़ल प्रस्तुति बधाई आपको

Comment by annapurna bajpai on August 30, 2013 at 9:20pm
आदरणीय काफी सुंदर गजल हुई है । बहुत बधाई आपको ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on August 30, 2013 at 7:16pm

//उसे तो साफगोई की है आदत

बगरना आदमी अच्छा बहुत है//  क्या खूब कहा आदरणीय सुशील सर आपने वाह दाद कुबूल करें

Comment by राजेश 'मृदु' on August 30, 2013 at 4:01pm

वाह-वाह.... केवल वाह ही वाह, बड़ी शानदार रचना है  । बशीर साहब की कुछ पंक्तियां याद आ गई, सादर

मैं कब कहता हूँ वो अच्छा बहुत है
मगर उसने मुझे चाहा बहुत है

खुदा इस शहर को महफ़ूज़ रखे
ये बच्चो की तरह हँसता बहुत है

मैं हर लम्हे मे सदियाँ देखता हूँ
तुम्हारे साथ एक लम्हा बहुत है




सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 30, 2013 at 12:06pm

सुशील भाई , बहुत अच्छी गज़ल कही , बधाई !

यक़ी करना ज़रा मुश्किल है तुझपे

तेरा तर्ज़े अदा मीठा बहुत है

वो पहली आरी की ज़द में रहेगा

शजर जो बाग़ में सीधा बहुत है ---------------- दो शेर विषेश लगे !!

Comment by Shyam Narain Verma on August 30, 2013 at 11:42am
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

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