गर्जत बरसत सावन आया
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव, धमतरी
मेघों का दल आया है, सावन का संदेशा लाया है।
जल भरकर ये काले जलधर, जल बरसाने आया है॥
मेघों का दल आया है ......
चांदी जैसी बिजली चमकी, उमड़-घुमड़ आये बादल।
लगता है आकाश छोड़कर, धरती पर छाए बादल॥
गर्मी हम से रूठ गई, बरसात ने नाता निभाया है ।
मेघों का दल आया है ......
भँवरे फूल बगियां खुश हैं, माटी की सोंधी महक उठी।
पंछी सुर में गाने लगे, कहीं दूर कोई कोयल कूकी॥
पशु पक्षी जन मानस के, तन-मन को भिगोने आया है ।
मेघों का दल आया है ......
रिम- झिम से शुरुवात हुई, फिर बड़ी- बड़ी बूंदे आईं।
लम्बी उमस गर्मी की देखो, अब कैसी शामत आई॥
मौसम भीगा- भीगा है, और दिन में अंधेरा छाया है ।
मेघों का दल आया है ......
पेड़ों पर पड़ने लगे झूले, सखियाँ सुर में गाने लगी।
मोर ने अपने पंख फैलाए, डाली पर चिड़ियाँ चहकीं॥
बरखा रानी के स्वागत् में, सबका मन हर्षाया है ।
मेघों का दल आया है ......
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जलधर = बादल
( मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
अन्नपूर्णा जी ,- राधे- राधे॥ सावन -गीत को पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद ॥
रविकर भाई- सप्रेम राधे- राधे । सावन -गीत को दिल से पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद ॥
सुन्दर
आदरणीय-
बधाई स्वीकारें-
सादर
नारायण भाई- सप्रेम राधे- राधे। सावन -गीत को दिल से पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद ॥
गिरिराज भाई- सप्रेम राधे- राधे। सावन -गीत को दिल से पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद ॥
अरुण भाई- सप्रेम राधे- राधे । सावन -गीत को दिल से पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद ॥
लक्ष्मण भाई- सप्रेम राधे- राधे । सही सलाह एवं गीत को दिल से पसंद करने के लिए हार्दिक् धन्यवाद ॥
आदरणीय अखिलेश जी सुन्दर सावन गीत के प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई.
अहा बहुत मनोरम चित्रण किया है आदरणीय आपने सावन का बहुत बधाई इस सुन्दर रचना पर !!
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