For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खट- खट की आवाज सुनकर गली के कुत्ते भौंकने लगे। चोर कुछ देर शांत हो गये। थोड़ी देर बाद फिर से खोदने लगे। कुत्ते फिर भौंकने लगे।

चोरों ने डंडा मारकर कुत्तों को भगाना चाहा, लेकिन कुत्ते निकले निरा ढीठ, वे और तेज भौंकने लगे। लाल मोहन ही क्या अब तो सारा मुहल्ला जाग चुका था । लेकिन किसी ने अपने बिस्तर से उठकर बाहर यह पता करने की ज़हमत नहीं उठायी कि कुत्ते भौंक क्यों रहे थे ।

सुबह-सुबह पूरे मुहल्ले में यह ख़बर आग बनी थी, लाल मोहन लुट चुका है।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 871

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on February 5, 2015 at 1:37pm

आदरणीय विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी सुन्दर ,संदेशप्रद रचना , हार्दिक बधाई आपको !

Comment by वीनस केसरी on September 2, 2013 at 4:05am

पूर्व के टिप्पणियों से सहमत हूँ पहला वाक्य भर्ती का है

भाई आपकी कथा से स्पष्ट है कि लाल मोहन भी जाग गया था ...
अगर लाल मोहन के साथ कुछ और संज्ञाएं सपरिवार जोड़ी होती और अंत में संवाद यूँ होता तो अधिक चोट पड़ती

सुबह लाल मोहन को पता चला कि वह लुट चुका है ...

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 1, 2013 at 12:07pm

सटीक लघुकथा आदरणीय कई बार चेतावनी हमें सचेत कर रही होती है किन्तु हम आलस कर जाते हैं. बधाई भाई जी इस लघुकथा पर.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 1, 2013 at 11:31am

कर्तव्य बोध का एहसास कराती सार्थक लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई श्री विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय जी 

Comment by vandana on September 1, 2013 at 6:33am

अपने आराम को छोड़कर कौन देखे कि पड़ोस में क्या हो रहा है ....सही दशा का चित्रण किया है 

Comment by vijayashree on September 1, 2013 at 12:03am

इंसान आज कितना आत्मकेंद्रित हो गया है ." मैं और मेरे " के अतिरिक्त उसे कुछ सूझता ही नहीं है 

न जाने अपनी किस धुन को पूरा करने में व्यस्त है . न उसे किसी अपने की चिंता है न ही किसी आस पास वाले की 

'कर्तव्यबोध ' के माध्यम से आपने इसी मनोव्यथा का बखूब चित्रण किया है 

बधाई स्वीकारें विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय जी 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 31, 2013 at 6:04pm
आदरणीय शुभ्रांशु जी! सर्वप्रथम तो आपसे शिकायत करूँगा- मैं आपका अनुज हूँ, मुझे अपना प्रेम दीजिये, आदर मैं आपका करूँगा। हाँ नहीं तो।

आपने लघुकथा के अहम पात्र कुत्ते को सही पहचाना, असल कर्तव्यबोध उसी का है। वह पहले भी भौंकता था आज भी भौंक रहा है, लेकिन एक सामाजिक और बौद्धिक प्राणी होने के बावजूद हम सामाजिकता और बौद्धिकता दोनों खोते जा रहे हैं। हमारे भीतर, अपने कर्तव्य का बोध लुप्त हो गया है। आदरणीय रचना के मूल कथन को आपने सराहा, अनुज आपका आभारी है।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 31, 2013 at 5:53pm
भाई जीतेन्द्र जी! रचना की सराहना के लिये आपका हृदय से आभार।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 31, 2013 at 5:51pm
आदरणीया प्राची दीदी! आपने अनुज के लघु प्रयास को अपना आशीर्वाद प्रदान किया, मैं कृतकृत्य हुँ।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 31, 2013 at 5:50pm
आदरणीया शुभ्रा जी! आपने लघुकथा को सराहा अनुज आपका आभारी है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service