हे धर्मराज! स्वीकार मुझे, प्रति क्षण तेरा संप्रेष रहे
यह जीवन यज्ञ चले अविरल, निज प्राणार्पण हुतशेष रहे
लोभ-मोह के छद्माकर्षण, प्रज्ञा से नित कर विश्लेषण,
इप्सा तर्पण हो प्रतिपूरित, मन में तृष्णा निःशेष रहे,
यह जीवन यज्ञ चले अविरल, निज प्राणार्पण हुतशेष रहे
कर्तव्यों का प्रतिपालन कर,निष्काम कर्म प्रतिपादन कर,
फल से हो सर्वस मुक्त मनस,बस नेह हृदय मधु-शेष रहे,
यह जीवन यज्ञ चले अविरल निज प्राणार्पण हुतशेष रहे
निवर्ण–सुवर्ण, अभिजात-मलिन, परिजन-परजन, शुभदिन दुर्दिन,
निःस्पर्श रहे हर आडम्बर, मन अंतर ऊर्जित त्वेष रहे,
यह जीवन यज्ञ चले अविरल निज प्राणार्पण हुतशेष रहे
हे धर्म-धरण! हे प्राण-हरण! सत् तत्व ज्ञान, नत शीश शरण,
श्वाँस-प्रश्वाँस तुम्हे अर्पित, निशप्रात दिवस दिनशेष रहे,
यह जीवन यज्ञ चले अविरल निज प्राणार्पण हुतशेष रहे
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
आदरणीय संजय मिश्रा जी
रचना पर आपके उत्साहवर्धक अनुमोदन के लिए हृदय से आभारी हूँ..
मुझे तो लगा था कि यम के आमंत्रण को स्वीकार करती यह अभिव्यक्ति शायद सुधि पाठक जन पसंद नहीं करेंगे.. लेकिन इस सृजन को पसंद कर विचारों व सम्प्रेषण के प्रति लेखन को आश्वस्त करती आपकी टिप्पणी के लिए हृदय से धन्यवाद प्रेषित करती हूँ .
सादर.
रचना का कथ्य आपको प्रेरणा दायक लगा आ० आदित्य कुमार जी तो लेखन सार्थक हुआ ही समझूँ.
हार्दिक धन्यवाद
आदरणीय विजय निकोरे जी
रचना पर आपके अनुमोदन के लिए धन्यवाद!
यह रचना हर मानव के उत्थान के लिए प्रवचनीय भावनाओं का उत्तम संप्रेषण है ...
भगवान से जो भी मिले, हम उसे नत-मस्तक स्वीकार करें ...
"प्राणार्पण हुतशेष रहे" ... आहुति के रूप में इससे पूर्ण समर्पण और हो भी क्या सकता है !
हमारी बुद्धि हमें लोभ-मोह छल-कपट, भेद-भाव से दूर रखे, और भगवान के दर्शनाभिलाषी
बन कर हमारे मन में भगवान के अतिरिक्त कोई और तृष्णा न रहे ... हम फल से असंपृक्त रहें ...
ईश्वर से बस यही अनुनयी विनय रहे !
विजय
वाह...!!! अंतिम पद तो अद्भुत है...
आदरणीया डा प्राची सिंह जी इस सुंदर सृजन के लिए सादर बधाइयाँ स्वीकारें....
हर प्रकार से प्रेरणा दायक। धन्यवाद ऐसी महान रचना के लिये. आदरणीया Dr.Prachi Singh जी
अभिव्यक्ति के सार पर आपके सराहनात्मक अनुमोदन के लिए सादर धन्यवाद आ० गिरिराज भंडारी जी
आदरणीय अभिनव अरुण जी
प्रार्थना की भाव भूमि और कथ्य सार पर आपका अनुमोदन आश्वस्ति का कारण है.
इस संबल प्रदान करते सराहना के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद
सादर.
आदरणीया वन्दना जी
प्रार्थना से भावात्मक एकाकार स्थापित कर इसमें शामिल हो स्वर मिलाने की चेष्टा के लिए आपका हृदय से धन्यवाद
सादर.
आदरणीया विजयाश्री जी
अभिव्यक्ति के शब्द प्रवाह पर आपकी सराहना मिली, लेखन को संबल मिला है
आपका सादर आभार.
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