For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुक्तिपथ........................डॉ० प्राची

हे देवपुरुष !

हे ब्रह्मस्वरूप !

कहती हूँ तुम्हें - श्रीकृष्ण !

 

पर

माधवमैं -  

वंशी धुन सम्मोहित

प्रेम साख्य अठखेलियों की

परिकल्पना में रास स्वप्न संजोती  

तुम्हारी चिर सखि शक्ति राधिका नहीं !

 

और माधवमैं -

आत्मिक आलौकिक

प्रेमाधीनसुधि हारी

कर्म बन्ध विरक्ताजग त्यक्ता,

तुममें लीन तुम्हारी भाव-परिणिता मीरां भी नहीं !

 

हे माधव ! मैं -

नतमस्तककरबद्ध,

चरण-वंदिताश्रद्धार्पिता

ज्ञान पिपासुतिह मैत्रेयारूढ़,

जीवन समर में अकिंचन किंकर्तव्यविमूढ़...

लिए मन-वचन-कर्म अनुप्राणित समर्पण, पार्थ सम हूँ शरण !

 

हे कृष्ण !

बन्धमुक्त-आबद्ध समन्वय के सारे

सुलझाओ संशय...

गुरु सम सदिश् करो जीवन-रथ

छटे धुँधलका, ज्ञानालोकित हो जीवन, पाए मुक्तिपथ !

 

 

 

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 1316

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on September 5, 2015 at 11:47pm

 //हे माधव ! मैं - नतमस्तक, करबद्ध,
चरण-वंदिता, श्रद्धार्पिता
ज्ञान पिपासु, तिह मैत्रेयारूढ़,
जीवन समर में अकिंचन किंकर्तव्यविमूढ़...
लिए मन-वचन-कर्म अनुप्राणित समर्पण, पार्थ सम हूँ शरण !//

पूर्ण समर्पण को परिभाषित करते यह सुन्दर भाव किसी भी श्रद्धावान भक्त के लिए अनमोल हैं।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 4, 2013 at 7:46pm

आदरणीय राजेश जी 

निःशब्द हूँ... क्या कहूँ ? सादर आभार !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 4, 2013 at 7:45pm

डॉ० आशुतोष मिश्रा जी 

अभिव्यक्ति की सराहना के लिए धन्यवाद 

सादर.

Comment by राजेश 'मृदु' on September 4, 2013 at 5:36pm

मुक्ति की छटपटाहट और कृष्‍ण को इसके लिए संबल बनाना कृष्‍णमय होने के समान है । यह वैचारिक उपलब्धि हासिल करना भी आसान नहीं । इसके लिए बहुत अच्‍छे संस्‍कार चाहिए होते हैं तब ऐसी अनुभूति होती है । आदरेया, मन प्रसन्‍न हो जाता है जब यह जानता हूं कि इतने संस्‍कारवान लोगों के बीच मैं भी खड़ा हूं । आपकी रचना बहुत गहरे छूती रही है उसमें एक कड़ी और जुड़ गई, सादर

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 4, 2013 at 4:58pm

आदेर्नीया प्राची जी ..

 

हे माधव ! मैं -

नतमस्तककरबद्ध,

चरण-वंदिताश्रद्धार्पिता

ज्ञान पिपासुतिह मैत्रेयारूढ़,

जीवन समर में अकिंचन किंकर्तव्यविमूढ़...

लिए मन-वचन-कर्म अनुप्राणित समर्पण, पार्थ सम हूँ शरण !ये पंक्तियाँ मुझे बेहद पसंद आयी ..हर तरह से प्रभु चरणों में अपना समर्पण व्यक्त करती उत्क्रिस्ट रचना ..सादर बधाई के साथ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 4, 2013 at 4:14pm

प्रिय राम भाई 

हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 4, 2013 at 4:13pm

रचना के सराहना और अनुमोदन के लिए सादर धन्यवाद आ० विजय जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 4, 2013 at 4:11pm

आदरणीया मीना पाठक जी..

स्नेहवर्षा के लिए हार्दिक आभार.

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 4, 2013 at 4:09pm

आदरणीय बृजेश जी,

आपकी टिप्पणी मेरे चिंतन मनन सम्प्रेषण लेखन दर्शन..सबके प्रति आश्वस्त करती हुई है..

ईश्वर के प्रति समर्पण का कोई अंत ही कहाँ.... और ब्रह्मज्ञानी ब्रह्मस्वरूप गुरु भी तो ईश्वरतुल्य ही है... बस ज्ञान पिपासा ही है जो यह समर्पण श्रद्धा भाव ले आती है 

इस बूँद मात्र समर्पण पर आपके अनुमोदन से सम्प्रेषण को सार्थकता मिली.

सादर आभारी हूँ आदरणीय .

Comment by ram shiromani pathak on September 4, 2013 at 2:38pm

हे माधव ! मैं -

नतमस्तककरबद्ध,

चरण-वंदिताश्रद्धार्पिता

ज्ञान पिपासुतिह मैत्रेयारूढ़,

जीवन समर में अकिंचन किंकर्तव्यविमूढ़...

लिए मन-वचन-कर्म अनुप्राणित समर्पण, पार्थ सम हूँ शरण !अद्भुत रचना/// 

 

आदरणीया प्राची जी,ईश्वर के प्रति आपका समर्पण और आपके सात्विक  विचारों  को  मै  बार प्रणाम करता हूँ //हार्दिक बधाई आपको ///सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
4 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service