बिखेरे रंग
प्यार के संग-संग
मै और तुम
बिखेरे हँसी
दोस्तो के संग-संग
मै और तुम
बिखेरे गंध
फूलो के संग-संग
मै और तुम
बिखेरे सुर
कुहू के संग-संग
मै और तुम
बिखेरे शब्द
कलम के संग-संग
मै और तुम
मौलिक अप्रकाशित रचना
नयना(आरती कानिटकर
०१/०९/२०१३
Comment
सुंदर रचना अभिव्यक्ति हेतु बधाई आदरणीय नयना जी
सुंदर प्यारी सी रचना , बधाई नयना जी ।
दो इंसानों को एकमेव करती हाइकु विधा में सुन्दर प्रस्तुति बधाई आपको आरती जी
अति सुन्दर रचना
गिरिराज भंडारी जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया , हौसला अफज़ाई के लिये !
आरती जी , सुन्दर रचना ,बधाई !!
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