अंधकार गहरा चला अब
सितारों से भर चला नभ
चाँद हौले से मुस्का दिया
अप्रतिम अलौकिक सुंदरता ...................
सुंदरी की खुली अलकें सी
चाँदनी भी छिटकने लगी
कण कण दुग्ध मे नहाया सा
प्रफुल्लित हो चला मन
लगता था जो पराया सा ........................
तप्त धरा सी वो
पाई जिसने शीतलता
नीरवता तोड़ता विहग
आवरण जो असत्य का ,
अंधकार वो अहम का
हौले हौले .......................
चेतना लौटी प्रबुद्धता आई
नैसर्गिक अविचलता लाई
प्रेम और विश्वास का
स्नेह और उल्लास का
सागर लेने लगा हिलोरें....................................
अप्रकाशित एवं मौलिक
Comment
आदरणीय कुशवाहा जी आपका हार्दिक आभार ।
चेतना लौटी प्रबुद्धता आई
नैसर्गिक अविचलता लाई
प्रेम और विश्वास का
स्नेह और उल्लास का
सागर लेने लगा हिलोरें
बहुत खूब
सादर बधाई
आदरणीय बागी जी आपकी टिप्पणी ने उत्साह वर्धन किया है । आपका धन्यवाद ।
आदरणीय आशीष जी आपका धन्यवाद ।
आदरणीय रविकर जी आपका आभार ।
आदरणीय अमन कुमार जी आपका धन्यवाद ।
आदरणीय भण्डारी जी आपका हार्दिक आभार ।
adarniya Meena ji apko haidik dhanyvad .
adarniy Brijesh ji apka hardik abhar .
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online