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उदित हुए रवि प्रेम के ,समय बड़ा अनुकूल !
ह्रदय प्रफुल्लित हो गया ,फूले मन के फूल !!1

प्रेम सुनाता है सुनों ,गाकर सुन्दर गीत !
यह जीवन दिन चार का ,सीखो करना प्रीति !!2

लिए पोटली प्रेम की ,सबसे हँसकर बोल !
प्रेम भरे दो बोल ही ,देते अमृत घोल !!3

मन में खिलते फूल है ,महकी महकी रात !
तन मन पुलकित हो गया, की है ऐसी बात !!4

बजी बाँसुरी प्रेम की ,सुन्दर कितनी तान !
मेरे मन को मोहती ,उनकी मृदु मुस्कान !!5

ढाई आखर प्रेम का ,इसका सहज प्रसार !
इसका हुआ निवेश यदि ,प्रतिदिन बढ़ता प्यार !!6
************************************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 739

Comment

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Comment by ram shiromani pathak on September 6, 2013 at 3:12pm
हार्दिक आभार आदरणीय रविकर जी,स्नेह यूँ ही बनाये रखें //सादर
Comment by ram shiromani pathak on September 6, 2013 at 3:11pm
हार्दिक आभार आदरणीय भाई बसंत नेम जी //सादर
Comment by ram shiromani pathak on September 6, 2013 at 3:11pm
हार्दिक आभार आदरणीया मीना पाठक जी //सादर
Comment by ram shiromani pathak on September 6, 2013 at 3:10pm
हार्दिक आभार आदरणीय गणेश जी ,आपको दोहे अच्छे लगे तो मेरा लिखना सफल हुआ //सादर
Comment by ram shiromani pathak on September 6, 2013 at 3:04pm
हार्दिक आभार आदरणीय भाई ब्रिजेश जी ,आपको दोहे अच्छे लगे तो मेरा लिखना सफल हुआ //सादर
Comment by ram shiromani pathak on September 6, 2013 at 3:03pm
हार्दिक आभार आदरणीय भाई जीतेन्द्र जी //सादर
Comment by ram shiromani pathak on September 6, 2013 at 2:58pm
हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज जी //सादर

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 6, 2013 at 11:19am

अनुज राम शिरोमणि जी, सभी दोहें अच्छे लग रहें हैं, बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर ।  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 6, 2013 at 11:11am
आदर्णीय राम शिरोमणी भाई , सभी दोहे एक से बढ कर एक हैं , प्रेम मय दोहों के लिये बधाई !!
लिए पोटली प्रेम की ,सबसे हँसकर बोल
प्रेम भरे दो बोल ही ,देते अमृत घोल ------------ वाह वाह !!
Comment by रविकर on September 6, 2013 at 11:09am

दीपक जलता प्रेम का, फैलाए उजियार |
शिल्प कथ्य सुंदर दिखा, बहुत बहुत आभार-

कृपया ध्यान दे...

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