उदित हुए रवि प्रेम के ,समय बड़ा अनुकूल !
ह्रदय प्रफुल्लित हो गया ,फूले मन के फूल !!1
प्रेम सुनाता है सुनों ,गाकर सुन्दर गीत !
यह जीवन दिन चार का ,सीखो करना प्रीति !!2
लिए पोटली प्रेम की ,सबसे हँसकर बोल !
प्रेम भरे दो बोल ही ,देते अमृत घोल !!3
मन में खिलते फूल है ,महकी महकी रात !
तन मन पुलकित हो गया, की है ऐसी बात !!4
बजी बाँसुरी प्रेम की ,सुन्दर कितनी तान !
मेरे मन को मोहती ,उनकी मृदु मुस्कान !!5
ढाई आखर प्रेम का ,इसका सहज प्रसार !
इसका हुआ निवेश यदि ,प्रतिदिन बढ़ता प्यार !!6
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राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
आ0 राम शिरिमणी जी बहुत ही सुन्दर मन मे मीठा रस घोलते दोहे .... बधाई शुभकामनाये
बहुत सुन्दर दोहे, बहुत बहुत बधाई स्वीकारें आ० राम शिरोमणि जी
बहुत ही सुन्दर! बहुत दिनों बाद इतनी सशक्त अभिव्यक्ति देखने को मिली आपसे!
आपको बहुत बहुत बधाई!
सादर!
लिए पोटली प्रेम की ,सबसे हँसकर बोल !
प्रेम भरे दो बोल ही ,देते अमृत घोल !!..........सच! अगर आपके संवादों में प्रेम का रस घुला हो, तो बात बन ही जाती है
सुंदर दोहावली , बहुत बहुत बधाई राम भाई
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