देख तिरंगा लहराता
मन उठा, भ्रमर सा जागा है
पुलकित सूरज की किरनें
रंग तीन यह जो चमकें
इस मंद हवा की लहरों पर
मन झूम-झूमकर गाता है
सोंधी खुशबू माटी की
अलकें खिलतीं फूलों की
खेतों में लहराती फसलें
अब उमग-उमग मन जाता है
जीवन मेरा धन्य हुआ
भारत में जो जन्म हुआ
ये प्राण निछावर हैं इस पर
यह धरती अपनी माता है
.
बृजेश नीरज
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार!
आदरणीया वंदना जी आपका हार्दिक आभार!
आदरणीय बृजेश जी
बहुत खूबसूरत देशप्रेम से ओत प्रोत गीत
हार्दिक बधाई
आदरणीय जवाहर जी आपका हार्दिक आभार!
आदरनीय बृजेश जी, सादर अभिवादन!
देश प्रेम से रची बसी रचना मैंने आज ही देखी . मन मुग्ध हुआ!
आदरणीय भ्रमर जी आपका हार्दिक आभार!
सोंधी खुशबू माटी की
अलकें खिलतीं फूलों की
खेतों में लहराती फसलें
अब उमग-उमग मन जाता है
प्रिय नीरज जी सचमुच इस माटी की बात ही निराली है अपनी जान अपनी शान है तिरंगा ..सुन्दर भाव सुन्दर सीख
आभार
भ्रमर ५
आदरणीय जितेन्द्र जी आपका बहुत बहुत आभार!
आदरणीय आशुतोष जी आपका बहुत आभार!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online