For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूखा दरख्त जो मेरे आँगन में था

जब तक था लड़ता रहा

कभी गर्म लू के थपेड़ों को

बरसात, खून जमाने वाली

ठंड को सहता रहा

सूखा दरख्त जो मेरे आँगन में था

 

उसकी शाखों को काट- काट कर

लोगों ने घरों के दरवाज़े बनाये

खिड़कियाँ बनाई खुद को छुपाने के लिये

जुल्म की आग में वो जलता रहा

सूखा दरख्त जो मेरे आँगन में था

 

उम्र कोई उसकी कम न कर सका

जब तक जीना था वो जिया

जब तक हरा भरा जवान था

हवा व छांव दुनिया को दिया

युग- युग की कहानी कहता रहा

सूखा दरख्त जो मेरे आँगन में था

 

-मौलिक और अप्रकाशित

 

 

Views: 738

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 5, 2013 at 9:54pm

भाई चन्द्रशेखर जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on September 26, 2013 at 8:55am

मनुष्य की स्वार्थपरता, कम होते प्रकृति प्रेम व पर्यावरणीय नैतिकता के अभाव को बिम्बित करती सुन्दर रचना। 

उसकी शाखों को काट- काट कर

लोगों ने घरों के दरवाज़े बनाये

खिड़कियाँ बनाई खुद को छुपाने के लिये

जुल्म की आग में वो जलता रहा

सूखा दरख्त जो मेरे आँगन में था // वाह्ह्ह बधाई आदरणीय।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 11, 2013 at 4:47pm

आदरणीया डॉ प्राची रचना के अनुमोदन के लिये आपका आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 11, 2013 at 4:45pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी आपका आभार,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 11, 2013 at 4:27pm

सूखे दरख़्त की स्मृतियों को प्रस्तुत करती सुन्दर अभिव्यक्ति 

हार्दिक बधाई 

Comment by annapurna bajpai on September 10, 2013 at 9:51pm
आदरणीय शिजू जी आपकी रचना संदेश परक है बधाई आपको । कुछ दिन पहले मैंने एक रचना प्रस्तुत की थी - "वह बरगद " आपकी यह रचना कुछ कुछ वैसी ही लगती है ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 10, 2013 at 3:09pm

आदरणीया विजयश्री जी आपका आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 10, 2013 at 3:08pm

भाई जितेन्द्र जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 10, 2013 at 3:07pm

आदरणीया वंदना जी आपका आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 10, 2013 at 3:06pm

आदरणीय गिरिराज सर आपका शुक्रिया,

ये अतुकांत नही है, ये तब की कविता है जब मै दिल के भावों को कागज़ पे अल्फाज़ की शक्ल में उकेरा करता था अब तो थोड़ी बहुत शिल्प की जानकारी भी है,
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
11 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
13 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
18 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Nov 8

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service