दिल की धड़कन को कुछ तो आराम हो जाए,
मेरे दिल की वादियों में तेरी जिंदगी की शाम हो जाए,
न हो हासिल कुछ भी अगर इस मोहब्बत में मुझे ,
तो खुदा करे की तू मेरे नाम से बदनाम हो जाए!
वक़्त भर ही देगा वो जख्म जो मिले है मुझे तेरी चाहत में ,
बर्बाद ही हो गया हूँ मैं तेरी झूठी मोहब्बत में ,
इससे ज्यादा और मिलना भी क्या था इस उल्फत में ,
सजदे किये थे मैंने तेरे लिए खुदा की इबादत में ,
वक़्त की आँधियों में तू कहीं गुमनाम हो जाए !
दिल की धड़कन को कुछ तो आराम हो जाए,
मेरे दिल की वादियों में तेरी जिंदगी की शाम हो जाए,
न हो हासिल कुछ भी अगर इस मोहब्बत में मुझे ,
तो खुदा करे की तू मेरे नाम से बदनाम हो जाए!
माना की गमो की जद में हूँ और फुर्सत नही मुझे,
ये दिल फिर भी न जाने क्यों तलाशता है तुझे ,
इश्को मोहब्बत के चिराग है अब तो बुझे बुझे ,
हैरान हूँ मैं तेरे अंदाज़े इश्क पे काश तू भी थोडा परेशान हो जाए ,
दिल की धड़कन को कुछ तो आराम हो जाए,
मेरे दिल की वादियों में तेरी जिंदगी की शाम हो जाए,
न हो हासिल कुछ भी अगर इस मोहब्बत में मुझे ,
तो खुदा करे की तू मेरे नाम से बदनाम हो जाए!
कभी मेरे पहलू में गुजरते थे दिन रात तुम्हारे ,
बहुत ही हसीं लगते थे मेरी बांहों के सहारे ,
मुझसे पल भर के लिए भी जुदा होना तुमको गवारा न था,
मेरे बिना तेरी जिंदगी का गुजारा न था ,
अब उन पलो को भुलाके तू अनजान हो जाए ,
दिल की धड़कन को कुछ तो आराम हो जाए,
मेरे दिल की वादियों में तेरी जिंदगी की शाम हो जाए,
न हो हासिल कुछ भी अगर इस मोहब्बत में मुझे ,
तो खुदा करे की तू मेरे नाम से बदनाम हो जाए!
तुझे देख कर ले नाम मेरा लोग तेरे आगे ,
कीमत क्या होती है फुल की कांटो के आगे ,
आँखों से अश्क बहें तेरी मुझे याद करके ,
दिन रात तेरे भी नयना मेरी तरह बरसे ,
अब तो चाहत का ये अंजाम हो जाए ,
दिल की धड़कन को कुछ तो आराम हो जाए,
मेरे दिल की वादियों में तेरी जिंदगी की शाम हो जाए,
न हो हासिल कुछ भी अगर इस मोहब्बत में मुझे ,
तो खुदा करे की तू मेरे नाम से बदनाम हो जाए!
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
वक़्त भर ही देगा वो जख्म जो मिले है मुझे तेरी चाहत में ,
बर्बाद ही हो गया हूँ मैं तेरी झूठी मोहब्बत में ,
इससे ज्यादा और मिलना भी क्या था इस उल्फत में ,
सजदे किये थे मैंने तेरे लिए खुदा की इबादत में ,...........वाह! क्या कहने
बेहतरीन रचना ,बहुत बहुत बधाई आदरणीय डा. अनुराग जी
बहुत अच्छा प्रयास है! आपको हार्दिक बधाई!
भावनाओं का ज्वार विश्वास है अब राह पा कर संयत हो लेगा. आगे,आपसे कविताओं की अपेक्षा है. आप् आन्य रचनाकारों की उन्नत रचनाएँ पढ़ें और तदनुरूप सार्थक प्रयास करें.
शुभेच्छाएँ
बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति अनुराग भाई टूटे हुए दिल की पीर बयां की है आपने हार्दिक बधाई
डॉ० अनुराग सैनी जी
प्रेम प्राप्त ना होने पर अच्छा कोसा गया है.. शानदार तरह से बददुआएँ मन से जैसे बह निकली हैं.... बहुत खूब
शुभकामनाएँ इस भावाभिव्यक्ति पर
आदरणीय अनुराग भाई , उम्दा नज़म हुई !! बधाई !!
गजब आदरणीय-
उनकी तरफ से जवाब आया है-
झूठी कहते ना थको, बको व्यर्थ अविराम ।
याद करो उस शाम को, जब थे लोग तमाम ।
जब थे लोग तमाम, नहीं बक्कुर था फूटा ।
फूटी किस्मत हाय, और दिल रविकर टूटा ।
रही मुहब्बत पाक, किन्तु तुझ से थी रूठी ।
करो कलेजा चाक, और कहते हो झूठी ॥
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