आता है हिन्दी दिवस जाने को तत्काल
संसंद में करते रहे, नेता टालम टाल
विकसित करना देश को तो मन में यह ठान
अपनी भाषा का सदा उन्नत रखना भाल |
(2)
हिन्दी में ही बोलकर रख भाषा का मान
भाषा की सम्पन्नता, है हिन्दी की शान
हीन भाव लाये बिना कर हिन्दी में बात
तब हिन्दी की विश्व में अमिट बने पहचान |
(3)
रोज मना हिन्दी दिवस करना गौरव गान
देवनागरी लिपि बनी, जो है इसकी शान
संस्कृति अरु साहित्य का उन्नत है भण्डार
सबको करना चाहिए भाषा पर अभिमान |
(मौलिक व् अप्रकाशित)
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment
त्रुटियों की ओर ध्यान दिलाने की लिए धन्यवाद और मुक्तक सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री अरुण शर्मा अनंत"जी
आदरणीय बेहद सुन्दर मुक्तक रचे हैं आपने बहुत ही सुन्दर ढेरों बधाइयाँ स्वीकारें एक दो जगह कंटक टाइपिंग में गलती हो है, तीसरे मुक्तक की प्रथम और चर्तुथ पंक्ति में २४ -२४ मात्राएँ हैं जबकि द्वतीय और तृतीय में 25-25 क्या ऐसा हो सकता है कृपया अवगत करायें.
नमष्कार भाई केवल प्रसाद जी,मुक्तक पसंद करने के लिए धन्यवाद | हिन्दी दिवस की आपको भी ढेरों बधार्इ एवं शुभकामनाए
आदरणीय लड़ीवाला सर जी, सादर प्रणाम! अतिसुन्दर मुक्तक। हिन्दी दिवस की ढेरों बधार्इ स्वीकार करें। सादर,
मुक्तक सराहने के लिए आपका आभार श्री राम शिरोमणि पाठक जी |hindi दिवस की शुभकामनाए
हिन्दी भाषा को मान देते मुक्तक छंद को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपाई जी
मुक्तक पसंद करने के लिए आपका ह्रदय से आभार डॉ आशुतोष मिश्रा जी
हिन्दी में ही बोलकर रख भाषा का मान
भाषा की सम्पन्नता है है हिन्दी की शान
हीन भाव लाये बिना कर हिन्दी में बात
तब हिन्दी की विश्व में अमित बने पहचान | ................. बहुत बढ़िया आदरणीय लड़ी वाला जी । सुंदर संदेश देती रचना आपको बहुत बधाई ।
बहुत ही शानदार मुक्तक ..मेरी तरफ से ढेरों बधाई
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