बह्र : २२१ २१२२ २२१ २१२२
दिल हो गया है जब से टूटा हुआ खिलौना
दुनिया लगे है तब से टूटा हुआ खिलौना
खेले न कोई इससे, फेंके न कोई इसको
यूँ ही पड़ा है कब से टूटा हुआ खिलौना
बेटा बड़ा हुआ तो यूँ चूमता हूँ उसको
अक्सर लगाऊँ लब से टूटा हुआ खिलौना
बच्चा गरीब का है रक्खेगा ये सँजोकर
देना जरा अदब से टूटा हुआ खिलौना
‘सज्जन’ कहे यकीनन होंगे अनाथ बच्चे
जो माँगते हैं रब से टूटा हुआ खिलौना
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(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
बहुत बहुत धन्यवाद Dr.Prachi Singh जी
बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है आ० धर्मेन्द्र जी
बच्चा गरीब का है रक्खेगा ये सँजोकर
देना जरा अदब से टूटा हुआ खिलौना
इस कहन पर विशेष बधाई स्वीकार कीजिये
बहुत बहुत धन्यवाद वीनस जी
बहुत बहुत शुक्रिया vineet agarwal जी
बहुत बहुत धन्यवाद Dr Ashutosh Mishra जी
बहुत बहुत शुक्रिया Baidya Nath 'सारथी' जी
वाह जी वा तुस्सी ग्रेट हो
बहुत बहुत धन्यवाद अरुन शर्मा 'अनन्त' जी
बहुत बहुत धन्यवाद MAHIMA जी
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