For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1 2 1 2 / 2 2 1 2 / 1 2 1 2 / 2 2 1 

 

न रंज करना ठीक है, न तंज करना ठीक 

जो दौर बीता उससे यूँ, न फिर गुज़रना ठीक.

 

कि आखिरी सच मौत, इससे क्यों हमें हो खौफ़

यूँ डर के इससे हर घड़ी, न रोज़ मरना ठीक .

 

हर्फे आखिरी है जो खुदा ने लिख भेजा किस्मत में,

बने जो आका फिरते, उनसे क्यों हुआ ये डरना ठीक.

 

कोशिश ही बस में तेरे, खुदा के हाथ अंजाम, 

भला लगे तो अच्छा है, बुरा भी वरना ठीक. 

 

लाजिम है वज़न बात में , जो लब से तेरे निकली,

किए अपने ही वादों से,  न खुद मुकरना ठीक.

 

लड़ा के लोगों को, ये रोटियां सियासी सेंकें'

ज़हर ये बदअमनी का है, न यूँ बिखरना ठीक.

 मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 627

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shalini rastogi on September 19, 2013 at 10:52pm

हार्दिक आभार @ MAHIMA SHREE एवं Sarita Bhatia  जी 

Comment by MAHIMA SHREE on September 19, 2013 at 8:33pm

न रंज करना ठीक है, न तंज करना ठीक 

जो दौर बीता उससे यूँ, न फिर गुज़रना ठीक.

 

कि आखिरी सच मौत, इससे क्यों हमें हो खौफ़

यूँ डर के इससे हर घड़ी, न रोज़ मरना ठीक ....बहुत ही  बढ़िया प्रस्तुती  आदरणीया शालिनी जी बधाई आपको  

Comment by Sarita Bhatia on September 19, 2013 at 7:53pm

शालिनी जी शानदार अशआर लिए गजल कही आपने ,बहुत बहुत बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 19, 2013 at 2:54pm

आदरणीया शालिनी जी बेहद शानदार ग़ज़ल कही है आपने इस हेतु बधाई स्वीकारें बाकी सब अन्य मित्रजनो ने कह ही दिया है.

Comment by shalini rastogi on September 19, 2013 at 1:14pm

Shijju Shakoor जी .. बिलकुल सही कहा आपने ... अभी ककहरा भी नहीं आता ग़ज़ल गोई का ... पर प्रयास कर रही हूँ सीखने का ... 

शुभकामनाओं हेतु धन्यवाद!

Comment by shalini rastogi on September 19, 2013 at 1:12pm

Abhinav Arun जी .. प्रयास कर रही हूँ .. देखती हूँ कब तक ग़ज़ल का गढ़न सीख पाती हूँ ... आप सभी का सहयोग चाहिए ..

साभार!

Comment by shalini rastogi on September 19, 2013 at 1:10pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी .. बिलकुल सही फ़रमाया आपने .. ग़ज़ल सीखने के पहले पायदान पे खड़ी हूँ मैं अभी .. आज जैसे विज्ञ जनों के मार्गदर्शन से धीरे धीरे कुछ सीख जाउंगी ... अंत में लघु को छुट की तरह मन जाता है .. यह नहीं पता था मुझे ... कोशिश करुँगी की इसकी बहर को सुधार कर पुनः पोस्ट कर सकूँ |

धन्यवाद सहित 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 19, 2013 at 12:28pm

आदरणीया शालिनी जी , गज़ल का बहुत अच्छा प्रयास हुआ है , बारीकियो मे अभी हम से भी गलतियाँ हो रही है , आपकी ग़ज़ल मे भी है !! बह्र मे आखिरी मे 1 मात्रा लिखा नही जाता ये छूट की तरह से गिना जाता है अतः बह्र 1 2 1 2 / 2 2 1 2 / 1 2 1 2 / 2 2  होना चाहिये , ऐसा मुझे लगता है !!  बेहतरीन प्रयास के लिये बधाई !!!!

Comment by Abhinav Arun on September 19, 2013 at 10:47am

कोशिश ही बस में तेरे, खुदा के हाथ अंजाम,

भला लगे तो अच्छा है, बुरा भी वरना ठीक.

             ...आ. शालिनी जी कोशिश सराहना योग्य है ..बधाई .. ग़ज़ल गोई की मुश्किल राह में आपका भी स्वागत है .. ख़याल अच्छे हैं और ..धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय ..सो ग़ज़ल की गढन भी दुरुस्त हो जतेगी ..लिखते रहिये पढ़ते रहिये ..हम सभी सीख ही रहे हैं 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 19, 2013 at 10:32am

आदरणीया शालिनी जी ग़ज़ल लिखने का प्रयास अच्छा है इस विधा की मूलभूत बातों के प्रति आश्वस्त हो लेना निश्चित ही मेहनत को सफल करेगा, शुभकामनायें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service